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फीचर प्रवासी पक्षी दो मथुरा

श्री खोंगवीर ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के चार सालों के भीतर हाइड्रो क्रैकर यूनिट की स्थापना कर सल्फर डाई आक्साइड के उत्सर्जन को न केवल कम किया गया बल्कि स्वच्छ हरित ईंधन का उत्पादन किया गया। इसका असर यह हुआ कि शुरूआत से ही रिफाइनरी ने कम लेड वाले पेट्रोल के उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभाई।
उन्होने बताया कि डीजल हाइड्रो ट्रीटिंग यूनिट और एमएस (पेट्रोल) क्वालिटी अपग्रेडेशन यूनिट की 2005 में स्थापना से से यूरो-3 ग्रेड डीजल एवं पेट्रोल के उत्पादन के लिए रिफाइनरी को तैयार कर लिया गया था। इस सबका असर यह हुआ कि जहां देश भर में एक अप्रैल 2017 से यूरो-4 ग्रेड परिवहन ईंधन की आपूर्ति शुरू हुई वहीं मथुरा रिफाइनरी ने जनवरी 2010 से ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में यूरो-4 ग्रेड पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति शुरू कर पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए निर्धारित एक अप्रैल 2010 की समय सीमा को समय से पहले पूरा कर लिया था।
निदेशक ने दावा किया कि वास्तव में यह रिफाइनरी एनसीटी दिल्ली के ईंधन स्टेशनों के लिए बीएस-6 ग्रेड पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति करने वाली पहली रिफाइनरी बनी और एक अप्रैल 2018 के अग्रिम लक्ष्य को आसानी से पूरा कर लिया जबकि शेष देश को अप्रैल 2020 से बीएस-6 ईंधन उपलब्ध कराया जाएगा।
परिवेशी गुणवत्ता निगरानी स्टेशन के आंकड़ों के अनुसार रिफाइनरी से आगरा की ओर नौ किमी दूर फरह में 2017-18 में सल्फर डाई आक्साइड का उत्सर्जन 9़ 7 माइक्रोग्राम था जबकि 28 किमी दूर कीथम का 9़ 3 माइक्रोग्राम एवं भरतपुर का 5़ 7 माइक्रोग्राम था । इसी अवधि में आगरा के निकट सिकन्दरा में उत्सर्जन 10़ 6 माइक्रोग्राम था जो यह बताता है कि रिफाइनरी से दूर आगरा की ओर जाने पर उत्सर्जन घटता है लेकिन आगरा की सीमा पर फिर बढ़ता है जो यह भी बताता है कि आगरा में संभवतः जनरेटर आदि या वाहनों के चलने का असर वहां के पर्यावरण में पड़ रहा है।
सं प्रदीप
जारी वार्ता
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