राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Feb 16 2019 4:07PM पुलिस में भर्ती होना चाहता था शहीद अमित
शामली 16 फरवरी (वार्ता) जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुये केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान अमित कुमार की देश के लिये प्राण न्योछावर करने की तमन्ना तो पूरी हो गयी लेकिन परिवार के लिये बहुत कुछ करने की चाहत अधूरी ही रह गयी।
गरीबी और तंगहाली में पले बढ़े अमित की चाह थी कि वह पुलिस या फिर फौज में भर्ती हो। इससे वह अपने देश की सेवा के साथ ही अपने परिवार की भी सेवा कर सकेगा। सीआरपीएफ में भर्ती होकर एक सपना तो पूरा हो गया लेकिन परिवार की सेवा के लिए उसने यूपी पुलिस की हाल में परीक्षा दी थी।
शहीद के सहपाठी विनोद ने बताया कि सीआरपीएफ की नौकरी मिलने के बाद बेहद उत्साहित रहता था लेकिन चाहता था कि यदि वह उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हो गया तो उसे परिवार की सेवा करने का भी मौका मिल जाएगा। सीमा पर जाने से पहले उसने पुलिस की परीक्षा दी थी और नौकरी की खुशी में एक मन्दिर में भंडारा भी किया था।
अमित ने परिवार की हालत को देखते हुये कम उम्र में ही किराना की दुकान पर नौकरी की। दस घंटे दुकान में बिताने के बाद वह बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाते थे। उन्होंने सीआरपीएफ का फार्म भरा और सलेक्ट होने पर किराना की दुकान की नौकरी छोड़ दी थी।
सीआरपीएफ में नौकरी के बावजूद उसने हाल ही में पुलिस की भर्ती परीक्षा भी दी थी। देश सेवा करते हुए उसने अपने प्राण न्योछावर कर दिए, लेकिन वह अपने परिवार के लिए कुछ नहीं कर सका।
सं प्रदीप
जारी वार्ता