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बुन्देलखंड में परम्परागत उद्यमियों को दिया जायेगा दस दिन का प्रशिक्षण

बुन्देलखंड में परम्परागत उद्यमियों को दिया जायेगा दस दिन का प्रशिक्षण

हमीरपुर 01 मार्च(वार्ता)उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंंड में एक जिला एक उत्पाद(ओडीओपी) के तहत परम्परागत

उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये शासन ने प्रत्येक जिले से सौ उदयमियों को दस दिन का प्रशिक्षण देने के साथ साथ बीस हजार रुपये की किट देने का निर्णय लिया है।

जिला उद्योग महाप्रबंधक आई0 डी0 शुक्ला ने शुक्रवार को यहां बताया कि ओडीओपी कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार ने बुन्देलखंड के हमीरपुर, महोवा, बादा, चित्रकूट, जालौन, झांसी तथा ललितपुर के परम्परागत उद्योगों को बढावा देने के लिये सौ उदयमियों को दस दिन का प्रशिक्षण देने के साथ साथ बीस हजार रुपये की किट देने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि हमीरपुर के चमड़े की जूती, बांदा का शजल पत्थर, चित्रकूट के फर्नीचर, महोवा का गौरा पत्थर, जालौन का हाथ पेपर, झांसी के खिलौने तथा ललितपुर की जरी की साड़ी के काउन्टर कुम्भ मेंले में लगाये गये थे।

उन्होंने बताया कि कुम्भ मेले में हमीरपुर में निर्मित चमड़े के जूती तथा शजल पत्थर से निर्मित ताजमहल की जमकर खरीदारी की गयी थी। शासन ने विभिन्न उद्योगों से जुडे सौ सौ उद्यमियों को दस दिन का प्रशिक्षण देने के साथ साथ बीस बीस हजार रुपये की किट देने का निर्णय लिया है ताकि जिला उद्योग तकनीकि ढंग से आगे बढा सके। इसके लिये प्रशिक्षकों को शासन द्वारा नियुक्त किया जायेगा।

महाप्रबंधक ने बताया कि इन उदयोगों को बढ़ावा देनेे से बुंदेलखंड में खुशहाली लायी जा सकती है। दो दिन पहले आगरा मे सम्पन्न इन्वेस्टर समिट में प्रत्येक जिले के पांच उद्यमियों को इनाम दिया गया था। उन्होंने बताया कि बुन्देलखंड में सबसे ज्यादा हमीरपुर की जूती तथा बांदा का शजल पत्थर का उद्योग सबसे बुलंदियों पर पहुच सकता है। महोबा का

गौरा पत्थर से बनी ज्वैलरी की नक्काशी देखने लायक है। कुम्भ मेले में बांदा का शजल पत्थर से बने ताजमहल पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी नक्काशी की सराहना सभी लोग कर रहे है।

जूती उद्योग से जुड़े सुमेरपुर कस्वा निवासी रामखिलावन का कहना है कि यदि बैंक ऋण देने में कोताही नही बरतेंगे तो यह उद्योग फिर से जिंदा हो सकता है। यहां की जूती पूरे प्रदेश में ही नही देश में धमाल मचा सकती है। जिलें में कच्चा माल न मिलने के कारण यह उद्योग दम तोड रहा है। शासन के प्रयास से उद्योग पटरी पर आ जायेगे। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से विलुप्त की कगार पर पहुच चुके उद्योंगो के उद्यमियों में फिर से आशा की किरण जाग उठी है।

सं भंडारी

वार्ता

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