प्रयागराज,01 मार्च (वार्ता) गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की गठित तीन सदस्यीय पूर्णपीठ के दो न्यायाधीशों ने सुनवाई से स्वमं को अलग कर लिया है। नयी पीठ गठित करने के लिए पत्रावली मुख्य न्यायाधीश को प्रेषित कर दी गयी है
न्यायालय ने अगली सुनवाई की तिथि 15 मार्च नियत करते हुए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के मुद्दे पर अगली तिथि पर दोनों पक्षों को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। न्यायालय गंगा किनारे के सभी शहराें में एसटीपी लगाने व प्रबंधन करने की सुनवाई करेगी। न्यायालय ने हरिश्चन्द्र रिसर्च इंस्टीट्यूट झूंसी प्रयागराज के भवन निर्माण पर लगी रोक के मामले की भी अगली तिथि पर सुनवाई करेगी।
विचाराधीन अन्य मुद्दों, कानपुर के चमड़ा उद्योगों को शिफ्ट करने, गंगा में न्यूनतम जल प्रवाह कायम रखने, गंगा को प्रदूषण मुक्त रख पर्यावरण संरक्षित करने, अधिकतम बाढ़ बिन्दु से पांच सौ मीटर तक निर्माण पर लगी रोक के मुद्दे पर बारीबारी से सुनवाई की जायेगी।
न्यायालय ने एडीएम के अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी से सभी विचाराधीन मुद्दों की रिपोर्ट दो हफ्ते में दाखिल करने का समय दिया है। अब मामले की नयी गठित पीठ सुनवाई करेगी।
गंगा प्रदूषण की जनहित याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति विक्रमनाथ, न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति अशोक कुमार की पूर्णपीठ ने की तथा याचिका में विचाराधीन विभिन्न मुद्दों की अधिवक्ता वी.सी.श्रीवास्तव, न्यायमित्र अरूण कुमार गुप्ता ने न्यायालय को जानकारी दी।
राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एवं अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता शशांक शेखर सिंह और सुधांशु श्रीवास्तव एवं भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी ने पक्ष रखा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से अधिवक्ता डा.हरिनाथ त्रिपाठी, एच.आर.आई. के वरिष्ठ अधिवक्ता एम.सी.चतुर्वेदी व सुनीता शर्मा ने भी पक्ष रखा।
न्यायालय मामले की सुनवाई 15 मार्च को करेगी।
सं दिनेश त्यागी
वार्ता