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यादव बाहुल्य मैनपुरी भाजपा के लिये अब तक रही है दूर की कौड़ी

यादव बाहुल्य मैनपुरी भाजपा के लिये अब तक रही है दूर की कौड़ी

मैनपुरी 14 मार्च (वार्ता) पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आखिरी जिले के तौर पर माने जाने वाले मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में आजादी के बाद लंबे समय तक कांग्रेस का वर्चस्व रहा लेकिन पिछले करीब ढाई दशकों से यादव बाहुल्य इस इलाके में समाजवादी पार्टी (सपा) का डंका बज रहा है।

श्री मुलायम सिंह यादव के प्रभाव वाली मैनपुरी संसदीय सीट पर 1996 अब तक आठ बार हुए चुनाव में सपा कर कब्जा रहा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद सपा संरक्षक ने यहां शानदार जीत हासिल कर अपनी लोकप्रियता का अहसास कराया था। इस चुनाव में मुलायम तीन लाख 64 हजार 666 मतों से जीते थे। मुलायम को 5,95,918 वोट मिले थे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्धंदी भाजपा के शत्रुघ्न सिंह को 2,31,252 वोट हासिल हुये थे।

वर्ष 1952 से लेकर अब तक के चुनाव परिणाम पर दृष्टिपात करें तो मैनपुरी लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए सपना ही है। ऐसा नही है कि मुलायम सिंह यादव के कब्जे वाली इस सीट को हथियाने की कोशिशे जहॉ भाजपा ने अर्से से करके रखी हुई है वही 2009 के ससंदीय चुनाव मे बहुजन समाज पार्टी ने भी इस पर कब्जे का मंसूबा बनाया । इस सीट पर 2009 में मुलायम सिंह यादव के आगे बसपा भी पस्त हुई थी । पूर्व रक्षामंत्री को इस चुनाव में 3,92,308 वोट मिले थे वहीं बसपा ने विनय शाक्य को यहां से लड़ा था, जिन्हें 2,19,239 वोट प्राप्त हुए ।

मुलायम ने 2004 का चुनाव में इस सीट पर चुनाव लड़ा था और फिर उसके बाद ये सीट छोड़ दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उस समय 4,60,47 वोट हासिल किए और बसपा के अशोक शाक्य को 1,22,600 वोट मिले लेकिन उन्होंने ये सीट छोड़ी और अपने भतीजे धर्मेद्र यादव को लड़ाया । धर्मेंद्र ने जब चुनाव लडा तब वो सैफई के ब्लाक प्रमुख हुआ करते थे लेकिन मुलायम सिंह यादव के आदेश के बाद धर्मेद्र यादव ने ना केवल यहॉ से चुनाव लडा बल्कि मुलायम सिंह यादव का नाम भी जीत के जरिये रोशन किया।ध र्मेंद्र को 3,48,999 वोट हासिल हुए और बसपा के अशोक शाक्य को 1,69,286 वोट मिले । इस तरह बसपा की इस सीट को हथियाने की कोशिशे सफल नही हो सकी ।

सं प्रदीप

जारी वार्ता

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