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झांसी सीट पर लगभग सभी बड़े दलों में उम्मीदवार के नाम पर घमासान

झांसी 23 मार्च (वार्ता) उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र की एक बेहद महत्वपूर्ण झांसी -ललितपुर सीट पर उम्मीदवार के चयन को लेकर लगभग सभी बड़ी पार्टियों में घमासान मचा हुआ है और टिकट पाने के लिए संभावित उम्मीदवारों के बीच रस्साकशी जोरों पर है।
समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच हुए महागठबंधन के तहत यह सीट सपा के पाले में जाने से बसपा का तो यहां खेल ही लगभग खत्म हो गया है अब वह यहां केवल एक सहयोगी दल के रूप में ही इस सीट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की स्थिति में रह गयी है। दूसरी ओर कांग्रेस की भी कमोबेश यही स्थिति नजर आ रही है। हाल ही में पार्टी आलाकमान ने जन अधिकार पार्टी (जअपा) के साथ हुए समझौते में यह सीट इस पार्टी के लिए छोड़ने का फैसला किया है। हाईकमान के इस फैसले के बाद से जहां एक ओर अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस की कब्र में आखिरी कील ठोकने की कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है वहीं दूसरी ओर कार्यकर्ताओं की कड़ी नाराजगी भी साफ दिखायी देने लगी है।
इस क्षेत्र मे कांग्रेस से जुडे देा बडे नाम प्रदीप जैन आदित्य और बृजेंद्र व्यास के बयानों से भी साफ है कि नेता भी पार्टी के इस फैसले को पचा नहीं पा रहे हैं हालांकि यह दोनों ही पार्टी के फैसले के साथ खडे होने का दावा कर रहे हैं लेकिन इस फैसले के साथ सामंजस्य बैठाने में अपनी परेशानियों को छिपान में भी कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। कांग्रेसी कार्यकर्ताओ और नेताओं की नाराजगी इतनी अधिक है कि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव से पहले जिस तरह पार्टियों के बीच जोड़ तोड़ और असंतोष का खुलकर सामने आने का सिलसिला शुरू हाेता है उसका बड़ा असर धीरे धीरे कांग्रेस में दिखायी दे सकता है । समय बीतने के साथ कई बडे कांग्रेसी नाम असंतुष्ट होकर भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
उधर भाजपा में भी इस बार टिकट के लिए जारी घमासान साफ तौर पर दिखायी देने लगा है। इस सीट से वर्तमान सांसद और केंद्रीय मंत्री उमा भारती के चुनाव नहीं लड़ने को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखने की खबरें सामने आने के बाद इस क्षेत्र से पार्टी के लिए काम करने वाला हर प्रभावी नेता टिकट की आस लगाने लगा है। इनमें पूर्व मंत्री रवींद्र शुक्ला, वर्तमान विधायक रवि शर्मा, बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा, हमीरपुर से सांसद गंगाचरण राजपूत, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप सरावगी और संजीव श्रंगिऋषि से लेकर कई और नाम शामिल हैं। इन लोगो के प्रभाव और कई लोगों के स्थानीय स्तर पर अपने अपने समय में किये गये काम का लेखा जोखा कुछ इस तरह का है कि पार्टी के लिए यहां से उम्मीदवार का चयन करना बेहद टेढी खीर साबित होगा।
दूसरी और सपा के लिए भी इस क्षेत्र में उम्मीदवार का चयन आसान काम नहीं है यहां राज्यसभा सांसद डॉ. चन्द्रपाल सिंह यादव, पूर्व एमएलसी श्याम सुन्दर सिंह पारीछा, गरौठा के पूर्व विधायक दीपनारायण सिंह यादव, आरपी निरंजन, ललितपुर की पार्टी जिलाध्यक्ष तथा 2017 में विधासभा के लिए पार्टी की ओर से चुनावी रण मे उतर चुकी ज्योति लोधी और राकेश पाल अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। इनमें डॉ सिंह की दावेदारी को अब तक सबसे मजबूत माना जा रहा था लेकिन अब राजनीतिक समीकरणों मे आये बदलाव के चलते इनके अलावा दूसरे नामो का वजन भी बढ़ता नजर आने लगा है। इस बीच टिकट नहीं मिलने पर डॉ सिंह के भी भाजपा का दामन थामने की संभावनाएं विश्लेषक देखने लगे हैं।
बुंदेलखंड के दरवाजे की चाबी मानी जाने वाली झांसी-ललिपुर संसदीय क्षेत्र में भी बाकी क्षेत्रों की तरह ही चुनाव से पहले राजनीतिक उठा पटक का दौर शुरू हो चुका है । यहां की दो मुख्य पार्टियों सपा और भाजपा के अभी तक किसी उम्मीदवार का नाम साफ नहीं कर पाना भी आलाकमान को इस काम में आ रही बड़ी परेशानी को रेखांकित करता है। उम्मीदवार का नाम सामने नहीं आने के कारण दोनों ही दलों के प्रभावी लोगों के बीच जो रस्साकशी अभी नजर आ रही है वह एक बार पार्टी उम्मीदवार का नाम सामने आने पर समाप्त तो हो जायेगी लेकिन इसके बाद अंसंतुष्टों का पाला बदलने का खेल शुरू हो जायेगा। चुनाव की घोषणा के बाद से ही राजनीतिक हलचल के एक महत्वपूर्ण केंद्र बुंदेलखंड में सियासी दावपेंच का खेल शुरू हो चुका है और महत्वपूर्ण दलों के उम्मीदवार का नाम सामने आने के बाद ही इन पर विराम लग पायेगा।
सोनिया
वार्ता
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