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कुंभ के बाद चुनावी अनुष्ठानो का केन्द्र बना प्रयागराज

प्रयागराज,24 मार्च (वार्ता) दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुम्भ मेला के समापन के बाद
लोकसभा चुनाव का शंखनाद होने के साथ ही देश की सबसे बड़ी पंचायत ‘संसद’ में पहुंचने के लिए तीर्थराज प्रयाग चुनावी अनुष्ठानों का केन्द्र बन गया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) बहुजन समाजपार्टी (बसपा) और अन्य पार्टियों के टिकट के दावेदार टिकट पाने और चुनाव में जीत दर्ज कराने के लिए अपने गुरूजनाें के संरक्षण में यज्ञशालाओं में अनुष्ठान करवाना शुरू कर दिये हैं।
प्राचीन तक्षकतीर्थ मंदिर के पीठाधीश्वर एवं मण्डल प्रभारी श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के ब्रह्मर्षि रविशंकर महराज ने रविवार को बताया कि प्रयागराज को तीर्थों का मुकुटमणि कहा गया है। वेद-पुराण में कहा गया है कि यहां सभी देवता, ऋषि-मुनि और सिद्ध प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से निवास करते हैं। प्रयाग को ऋषि भरद्वाज, ऋषि दुर्वासा का कर्म क्षेत्र भी माना जाता है। यहां सतत ऊर्जा का प्रवाह होता रहता है। यहां किया गया यज्ञ एवं हवन का फल अवश्य मिलता है।
उन्होने बताया कि प्रयागराज को यज्ञ और तपस्या की भूमि भी कहा जाता है। कुम्भ और प्रत्येक वर्ष माह में कल्पवासी एक माह का यहां कल्पवास करते हैं। एक माह तक वे यहां पूजा-पाठ, हवन, यज्ञ करते रहते हैं। ब्रह्मा ने सृष्टि निर्माण से पूर्व प्रयाग के पावन स्थल पर यज्ञ किया था। यज्ञ के बाद उन्होंने सृष्टि का निर्माण किया। ब्रम्हा जी ने यज्ञ किया तो सारे देवी-देवता इसके साक्षी बने। शिव पुराण, पद्म पुराण एवं स्कंद पुराण समेत सभी 18वों पुराण में इसका वर्णन मिलता है।
दिनेश प्रदीप
जारी वार्ता
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