राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Mar 31 2019 8:50PM चुनाव बागड़ी आहत दो अंतिम अमरोहाबीते पांच साल में “स्वच्छ भारत” अभियान की हर जगह गूंज सुनायी दे रही है लेकिन बागडियों के लिये इसका कोई मतलब नहीं। जमीन ही नहीं है इनके पास तो भला शौचालय कहां बने। नहाने के लिये भी सरकारी हैंडपंपों का ही इस समुदाय के लोगों को सहारा है और दुनिया की नजरों के सामने अपने परिवार की महिलाओं को नहाने देने की मजबूरी भी है। मुरादाबाद परिक्षेत्र में बागडियों की तादाद करीब तीन हजार है और इतनी कम संख्या में होने की वजह से उन्हें कोई पार्टी वोट बैंक भी नहीं मानती। पहले की सरकारों ने इनके लिये कुछ नहीं किया तो इन्हें अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस वादे पर भी भरोसा नहीं है कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर हर गरीब को सालाना 72 हजार रुपये दिये जायेंगे। शीला, कैलाशो, मौसमी, फूलवती, मूलचंद, ननकी, ओमवती, पारो, राखी जिससे भी इस बारे में पूछो, वो सीधे कहता है कि आज तक हमारे लिये तो किसी ने कुछ न किया, बस जब मौका पाया रोजगार ही छीना है। ये सभी शिकायती लहजे में कहते हैं कि तमाम उम्मीदवारों को उन्होंने देखा है। उनके वादों पर भरोसा किया है लेकिन चुनाव निपटने के साथ ही यह सारे वादे न जाने कहां खो जाते हैं। वे बताते हैं, “हाल ही में पंचायत हुयी थी। इसमें तय हुआ है कि इस बार चुनाव में वोट नहीं देना है।”सं विश्वजीत प्रदीपवार्ता