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किसान खरीफ की बुआई के पहले करें बीज का शत-प्रतिशत बीज शोधन:सोराज

लखनऊ, 31 मई (वार्ता) किसानों को सलाह दी है कि खरीफ की बुआई के पहले मुख्य फसलों के बीज का शत-प्रतिशत बीज शोधन करें, क्योंकि ऐसा न करने से उनमें रोग लगने की संभावना रहती है और कभी-कभी पूरी फसल तक नष्ट हो जाती है ,इस लिए क्षति रोकने के लिए बुवाई के पहले सभी फसलों के बीज का शत-प्रतिशत शोधन कराया जाना नितान्त आवश्यक है।
राज्य के कृषि निदेशक सोराज सिंह ने यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बगैर बीज शोधन के जब किसान फसलों की बुवाई करता है तो ,रोग लगने की संभावना अधिक रहती है और फसलों को होने वाली क्षति का करीब 26 प्रतिशत बीज शोधन किए बुआई करने किसान को उठानी पड़ती ता है। इस किसानों को सलाह दी है जब भी वह कोई फसल की बुआई करने सबसे पहले बीज शोधन का कार्य शत-प्रतिशत कराया जाना नितान्त आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि बगैर बीज शोधन फसल बुआई करने से कभी-कभी महामारी का रूप ले लेती है और रोग के प्रकोप से शत-प्रतिशत तक फसल नष्ट होने की सम्भावना बनी रहती है। अतः बुवाई से पूर्व सभी फसलों में बीज शोधन का कार्य शत-प्रतिशत कराया जाना चाहिए
श्री सिंह ने बताया कि बीज शोधन का मुख्य उद्देश्य रसायनों एवं बायोपेस्टीसाइड्स से शोधित कर बीजों एवं मृदा में पाये जाने वाले रोग के कारकों को नष्ट करना होता है। बीज शोधन के लिए प्रयोग किए गए रसायनों/बायोपेस्टीसाइडस को बुवाई के पूर्व सूखा अथवा कभी-कभी संस्तुतियों के अनुसार घोल/स्लरी बना कर मिलाया जाता है, जिससे इनकी एक परत बीजों की बाहरी सतह पर बन जाती है जो बीज पर/बीज में पाये जाने वाले शुक्राणुओं/जीवाणुओं को नष्ट कर देती है।
कृषि निदेशक ने बताया कि प्रदेश में खरीफ की प्रमुख फसलों में शत-प्रतिशत बीज शोधन कराने के लिए 15 जून, तक विभाग द्वारा अभियान के रूप में राजकीय अधिकारियों/कर्मचारियों के माध्यम से समस्त ग्राम पंचायतों में कृषकों को प्रेरित किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि खरीफ की प्रमुख फसलों में धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, उर्द, अरहर, मूंगफली, सोयाबीन एवं तिल में बीज शोधन कार्य के लिए संस्तुतियों के अनुसार प्रमुख कृषि रक्षा रसायनों-थिरम 75 प्रतिशत डब्लू.एस., कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू.पी., रट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90 प्रतिशत $ टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत, कार्बाक्सिन 37.5 प्रतिशत $ थिरम 37.5 प्रतिशत डी.एस. टेबुकोनाजोल 2 प्रतिशत डी.एस., मेटालैक्सिल 35 प्रतिशत डब्लू.एस. एवं ट्राइकोडर्मा आदि रसायनों का प्रयोग किया जाता है।
श्री सिंह ने खाद्यान्न उत्पादन के राष्ट्रीय कार्यक्रम तथा ‘‘बीज शोधन अभियान’’ को सफल बनाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र, स्वयं सेवी संगठनों, स्वयं सहायता समूह एवं प्रगतिशील किसानों के साथ पेस्टीसाइड एसोसिएशन, थोक और फुटकर विक्रेताओं से सहयोग की अपेक्षा की।
त्यागी
वार्ता
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