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लोकरूचि रमजान रतजगा दो अंतिम आजमगढ़

कोरियां लोहिया गांव में लगभग तीन हज़ार मुसलमान रहते हैं और बगल में 8-10 घर यादव बिरादरी के है। इसी आबादी का एक परिवार गुलाब यादव का भी है जो मेहनत मजदूरी करते हुए दूसरे धर्म का सम्मान और लोगों की मदद करना अपना कर्तव्य समझता है । रोजेदारों की मदद के लिए रात में एक बजे से तीन बजे तक बजे तक गुलाब के परिवार के सदस्य एक बड़ी सी अलार्म घड़ी लटकाकर घर-घर जाते है और लोगों को शहरी के लिए जगाते हैं ।गुलाब एक दरवाजे से तब तक नहीं हटते जब तक उसके घर के भीतर से आवाज नहीं आ जाती ।
एक पीढ़ी पहले ये काम पहले गुलाब यादव के पिता चिरकिट यादव करते थे उनके बाद इस जिम्मेदारी को गुलाब के बड़े भाई विक्रम यादव ने संभाल ली और अब पिछले 10 वर्ष से लोगों को घर-घर जाकर जगाने का काम कर रहे हैं । गुलाब का 16 वर्ष का बेटा अभिषेक यादव भी अब पिता के साथ घर-घर जाकर जगा रहा है । गुलाब की पत्नी राधिका देवी अपने पति के कार्य से खुश रहती है । गुलाब का कहना है कि यह बुनकर बाहुल्य क्षेत्र मुबारकपुर नगरी में जाति धर्म के लोग एक दूसरे के धर्मों का आदर करते हैं । यही मानवता है यही सोचकर अपना कर्म करता हूं ।
इस बारे में जब मैं रोजेदारों से मिला तो कस्बे के रोजेदारों ने गुलाब की प्रशंसा करते हुये कहा कि “ ये न जगाए तो लोग सहरी न कर पाए ।”
कस्बे के सलीम भाई उर्फ़ गुड्डू कहते है की गुलाब का परिवार कई पढियों से ये काम करता है जो आज के जमाने में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिये एक संदेश है | बेलाल अहमद कहते है की वर्ष 1975 से ये परिवार इस काम में लगा है अब तो कस्बे के मुसलमानो की ऐसी आदत बन गयी है की यदि ये न आये जगाने तो बहुत से लोग सोये ही रह जाये क्योंकि एक बार शाम को अफ्तारी करने के बाद नींद बहुत गहरी आ जाती है ऐसे में हिन्दू होते हुए गुलाब मुबारकपुर कसबे की एक मिशाल है |
इसी बोर में युवा मोहम्मद रफीक ने कहा कि इस कसबे में में सिर्फ एक ही नाम है गुलाब यादव जो रोजेदारों के लिए 'सहरी' की एक आवाज बन चुके है | मोहम्मद अतहर उर्फ़ कुल्लू का कहना है की गुलाब भाई का काम बहुत सराहनीय है |
सं प्रदीप
वार्ता
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