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उत्तर प्रदेश-नदी उपेक्षा दो अंतिम सहारनपुर

इस माैके पर प्रमार्थ आश्रम के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी किसी संत से कम नहीं हैं। वे अपने स्तर से नदियों को प्रदूषण मुक्त कराने की प्रक्रिया को शुरू किए हुए हैं। लेकिन पांवधोई नदी की स्वच्छता का कार्यक्रम बिना सहारनपुर की जनता के सहयोग के पूरा होना असंभव होगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन का नहीं यह आम जनता का एजेंडा बने। उन्होंने सहारनपुर के युवाओं से इस अभियान को सफल बनाने की अपील की।
योगाचार्य पद्मश्री भारत भूषण ने कहा कि उन्होंने 40 साल के बाद पांवधोई में आज स्वच्छ जल देखा। उन्होंने कहा कि सहारनपुर के लोगों ने साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व बाबा लालदास के प्रयासों से गांव सकलापुरी में जमीन से निकली जलधारा को प्रवाहवान नहीं रख सके। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी आलोक कुमार, आलोक पांड, सीपी त्रिपाठी, नगरायुक्त ज्ञानेंद्र सिंह ने जीतोड़ प्रयास कर पांवधोई नदी को पुनर्जीवन देने का काम किया है।
इस मौके मण्डलायुक्त श्री त्रिपाठी ने कहा कि नदी के उद्गम स्थल से बाबा लालदास के घाट तक साढ़े तीन किलोमीटर लंबी इस नदी को चौड़ा किया गया और एक नहर से इसमें पानी छोड़ा गया। घाटों का निर्माण कराया गया। बाकी के दो चरणों का काम स्मार्ट सिटी विकास योजना के तहत पूरा किया जाएगा।
जल महोत्सव की शुरूआत में जिलाधिकारी आलोक पांडे ने कार्यक्रम में शामिल हुए साधु-संतों का अभिनंदन किया। उन्होंने पांवधोई नदी के पहले चरण की सफलता के लिए संबंधित लोगों का धन्यवाद किया। उन्होंने लोगों से अपील की वे अपनी सोच में बदलाव लाएं और यह समझे कि पांवधोई नदी गंदा नाला या कचरा आदि फेंकने के लिए नहीं है बल्कि यह एक जीवनदायनी है। उन्होंने कहा कि नदियों के किनारे भारत की सभ्यता विकसित हुई और सिंधु नदी के नाम पर ही हमारे सनातन धर्म का नाम हिंदू धर्म पड़ा। उन्होंने कहा कि सभी को अपनी धरोहर को बचाने का काम करना चाहिए।
इस अवसर पर स्वामी यतिन्द्रानंद गिरि और शाकुम्बरी देवी शक्तिपीठ के स्वामी सहजानंद और नगर के मेयर संजीव वालिया ने भी इस अभियान के पहले चरण की सफलता पर यहां के लोगाें को बधाई दी। इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। अतिथियों ने इस मौके पर पांवधोई गंगधारा शीर्षक से प्रकाशित स्मारिका का भी विमोचन किया।
सं त्यागी
वार्ता
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