राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jun 17 2019 4:47PM डाक्टरों की हड़ताल से चिकित्सा सेवायें प्रभावित
लखनऊ 17 जून (वार्ता) पश्चिम बंगाल के नीलरतन सरकार मेडिकल कॉलेज (एनआरएसएमसी) अस्पताल में डाक्टर पर हुये हमले के विरोध में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के आवाहन पर सोमवार को चिकित्सकों की एक दिवसीय हड़ताल का प्रतिकूल असर उत्तर प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं पर पड़ा जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ा।
राज्य में 50 हजार से ज्यादा निजी और सरकारी डाक्टरों के हड़ताल पर जाने से मरीजों को भटकना पड़ा। डाक्टरों के आंदोलन के चलते अस्पतालों में सामान्य सेवायें अस्त व्यस्त रहीं हालांकि इमरजेंसी सेवाओं को हड़ताल से विरत रखा गया।
राज्य में अत्यावश्यक सेवा परिरक्षण अधिनियम (इस्मा) लागू हाेने के बावजूद सरकार ने आंदोलनरत डाक्टरों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की है। संजय गांधी स्नात्कोत्तर आर्युविज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में सोमवार को ओपीडी नहीं चली जबकि संस्थान में कोई शल्य चिकित्सा भी नहीं हुयी। किंग जार्ज मेडिकल यूनीवर्सिटी (केजीएमयू), राम मनोहर लोहिया अस्पताल और अन्य अस्पतालों में बाहृय रोगी विभाग और आपरेशन थियेटरों में सन्नाटा पसरा रहा।
डाक्टरों की हड़ताल के समर्थन में समूचे राज्य में कई निजी पैथालाजी लैब और डायगनास्टिक्स सेंटर के शटर नहीं उठे। एनआरएसएमसी के डाक्टरों को न्याय दिलाने की मुहिम के तहत डाक्टरों ने मार्च निकाला और काली पट्टी बांध कर विरोध जताया।
प्रदीप
जारी वार्ता