राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jun 19 2019 4:00PM राष्ट्रीय अयोध्या-मांग तीन अंतिम अयोध्याश्रीरामजन्मभूमि के अधिग्रहीत परिसर में हमले के इरादे से आये आतंकियों की ओर से किये गये विस्फोट में गाइड रमेश पाण्डेय के चिथड़े उड़ गये थे। उसके शव की पहचान चप्पल और जनेऊ से हुई थी। फैसला आने के बाद गाइड रमेश पाण्डेय की पत्नी सुधा पाण्डेय ने कहा “ हमारा सुहाग ही नहीं उजड़ा बल्कि हमारी पूरी जिंदगी तबाह हो गयी। अब 14 साल बाद यह फैसला आया है तो आतंकियों को फांसी के बजाय उम्रकैद की सजा सुनाया जाना बहुत पीड़ादायक है। उस समय जांच में प्रदेश सरकार से कहीं गलती जरूर हो गयी वरना इन आतंकवादियों को फांसी की सजा जरूर होती। सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपील करे और सजा दिलाये।” गौरतलब है कि पांच जुलाई 2005 को सुबह करीब सवा नौ बजे विवादित श्रीरामजन्मभूमि परिसर में असलहों से लैस पांच आतंकी घुस गये थे। आतंकियों ने आधुनिक हथियारों से फायरिंग की थी और बम धमाका किया था। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में पांचों आतंकी मारे गये थे। इस मामले की तत्कालीन फैजाबाद जिले के थाना रामजन्मभूमि में पीएसी जवानों के तरफ से तहरीर पर रामजन्मभूमि पर मुकदमा दर्ज कराया गया था। जांच में आतंकियों को असलहों की सप्लाई और मदद करने में आसिफ इकबाल, मो. नसीम, मो. अजीज, शकील अहमद व डा. इरफान का नाम सामने आया था। इन सभी को पुलिस ने गिरफ्तार कर पहले फैजाबाद की जेल में रखा गया था। वर्ष 2006 में उच्च न्यायालय के आदेश पर केन्द्रीय कारागार नैनी (इलाहाबाद) दाखिल कर दिया गया था। पांचों आरोपी डा. इरफान, मो. नसीम, मो. अजीज, आसिफ इकबाल उर्फ फारुख व मो. शकील नैनी जेल में निरुद्ध हैं। सुरक्षा कारणों से इस मामले की सुनवाई जेल में प्रतिदिन होती रही। विशेष न्यायाधीश (अनुसूचित जाति व जनजाति) दिनेशचन्द्र ने पांचों आरोपियों में चार को आजीवन कारावास और एक अर्थदण्ड की सजा सुनाई है जबकि एक अभियुक्त को दोषमुक्त कर दिया है।सं प्रदीपवार्ता