राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jun 23 2019 11:11PM अखिलेश की रणनीति बनी गठबंधन की हार का सबब : मायावतीलखनऊ 23 जून (वार्ता) लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रचारकों की भविष्यवाणी को सही ठहराते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हार की ठीकरा फोड़ते हुये कहा कि अल्पसंख्यकाें को टिकट देने से बचने की रणनीति के चलते गठबंधन को शिकस्त का सामना करना पड़ा। रविवार को बसपा की राष्ट्रीय बैठक को संबोधित करते हुये सुश्री मायावती ने कहा कि अखिलेश लोकसभा चुनाव में मुसलमानों को टिकट देने से डर रहे थे। उनका मानना था कि इससे ध्रुवीकरण होगा और भाजपा को फायदा हो जाएगा। इसके अलावा सपा के पदोन्नति में आरक्षण देने की खिलाफत ने भी दलित, पिछडों को नाराज किया और उन्होने गठबंधन की बजाय भाजपा को वोट दिया। उन्होने कहा कि सपा सरकार के शासनकाल में दलितों पर हुआ अत्याचार भी गठबंधन प्रत्याशियों की हार का सबब बना। कई जगह सपा नेताओं ने बसपा उम्मीदवारों को हराने का काम किया । सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने भाजपा से मिल कर ताज कॉरिडोर में उन्हें फंसाने की कोशिश की। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव परिणाम आने के बाद सपा अध्यक्ष ने उनसे एक बार भी बात करने की जरूरत नहीं समझी जबकि उन्होने बड़े होने का फर्ज निभाते हुये अखिलेश को फोन कर उनके परिवार के हारने पर अफसोस जताया था। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने गठबंधन किया था। चुनाव परिणाम में बसपा को जहां 10 सीटों का फायदा हुआ था वहीं सपा को 2014 के चुनाव के बराबर पांच सीटें मिली थी हालांकि उसे परिवार की दो सीटों से हाथ धोना पडा था। रालोद का इस चुनाव में भी खाता नहीं खुल सका था। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के अधिकांश स्टार प्रचारक अपने भाषणों में बुआ (मायावती) और भतीजे(अखिलेश) की दोस्ती चुनाव परिणाम के बाद टूटने की भविष्यवाणी करते रहे थे। हाल ही में बसपा अध्यक्ष ने गठबंधन तोड़ने का एलान करते हुये उपचुनाव में अकेले दम पर उतरने की घोषणा की थी। आमतौर पर बसपा उपचुनाव में अपने प्रत्याशी खडे नहीं करती है। प्रदीपवार्ता