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बिजली दर बढोत्तरी में फंसा पेंच,आयोग के पाले में गेंद

लखनऊ 27 जून (वार्ता) उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों में बढोत्तरी का प्रस्ताव उपभोक्ता परिषद की आपत्ति के बाद अधर में लटक गया है।
परिषद ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष साक्ष्यों के साथ आपत्ति दाखिल की है जिसमें दलील दी गयी है कि उदय स्कीम के तहत रेग्यूलेटरी असेट के मद में बिजली कम्पनियां पर उपभोक्ताओं के निकाले गये 1851 करोड रूपये का भुगतान ब्याज समेत नहीं करती है, तब तक बिजली दरों में बढोत्तरी का उन्हे कोई अधिकार नहीं है। उपभोक्ता परिषद ने साक्ष्यों सहित आयोग में दाखिल की अपनी आपत्ति इस आधार पर बिजली कम्पनियों के बढोत्तरी प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की है।
उपभोक्ता परिषद का कहना है कि आयोग अपनी देखरेख में समय से बिल जमा करने पर 5 प्रतिशत की छूट देने वाले विकल्प पर कर सकता है।
परिषद के अध्यक्ष एवं राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने अपनी आपत्तियां और सुझाव साक्ष्यों के साथ नियामक आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह को सौप दिये हैं। परिषद ने आयोग द्वारा मांगे गये दोनाे विकल्पों पर अपनी राय देते हुये कहा कि उपभोक्ताओं का 11851 करोड रूपया बिजली कम्पनियों पर वर्ष 2016-17 तक निकल रहा है और वहीं वर्ष 2019-20 में बिजली दर बढोत्तरी बिजली कम्पनियों द्वारा इस आधार पर प्रस्तावित है कि सब्सिडी के बाद 9000 करोड का गैप है। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग बिजली दर बढोत्तरी प्रस्ताव को अविलम्ब खारिज कर बिजली दरों में कमी करे क्योंकि गैप की भरपायी के बाद भी विद्युत उपभोक्ताओं का रूपया 3851 करोड अतिरिक्त निकल रहा है। उपभोक्ता परिषद ने पूरी अतिरिक्त राशि पर ब्याज मांगते हुये बिजली दरो में कमी करने का सुझाव आयोग को सौंपा और उपभोक्ता हित में इसे पहला विकल्प माना।
श्री वर्मा ने बिजली कम्पनियों में वसूले जा रहे रेग्यूलेटरी सरचार्ज 4.28 प्रतिशत पर अविलम्ब रोक लगाने की मांग भी इस विधिक प्राविधानानुसार उठायी है क्योंकि नियामक आयोग के विशेषज्ञों द्वारा वर्ष 2016-17 जहाॅं तक आडिटेड आंकडे हैं, 11851 करोड रूपये उपभोक्ताओं का निकाला है। अब सबसे बडा सवाल यह है कि वर्ष 2017-18, 2018-19 से लेकर अब तक जो 4.28 प्रतिशत रेग्यूलेटरी सरचार्ज की वसूली हुयी है उसे भी ब्याज सहित वापस कराया जाये और टैरिफ बढोत्तरी को पूरी तरह खारिज करने का पेंच इस आधार पर फॅंसा दिया है क्योंकि आयोग द्वारा जारी प्रपत्र वर्ष 2019-20 टैरिफ प्रस्ताव के क्रम में इस प्रस्ताव पर निर्णय लिया जाना है।
प्रदीप
वार्ता
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