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निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के मामले में 10 को सुनवाई

प्रयागराज,02 जुलाई (वार्ता) प्रदेश के निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में फिटर, इलेक्ट्रिशियन एवं अन्य कोर्स के छात्रों का डाटा राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद उत्तर प्रदेश, लखनऊ के पोर्टल पर अपलोड करने की मांग में दाखिल कालेजाें और छात्रों की याचिकाओं की सुनवाई 10 जुलाई को होगी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अजय भनोट याचिकाओं की सुनवाई कर रहे है।
कानपुर के डा. वीरेंद्र स्वरूप प्राइवेट आई टी आई उन्नाव, राजेंद्र स्वरूप नालेज सिटी कानपुर सहित कई याचिकाओं में 22 जुलाई से होने वाली परीक्षा से पहले पोर्टल पर अपलोड होने से छूटे छात्रों को शामिल करने की मांग की गयी है। याचियों का कहना है कि राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली ने गाइड लाइन जारी की और छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया तय की गयी।
गाइड लाइन के अनुसार राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद में पंजीकृत छात्रों का ही आईटीआई कालेजों में प्रवेश किये जाना अनिवार्य किया गया। प्रथम काउंसिलिंग के बाद द्वितीय एवं तृतीय काउंसिलिंग स्थगित कर चौथी
काउंसिलिंग के जरिये कालेजों को पंजीकृत छात्रों का प्रवेश लेने की अनुमति दी गयी। सभी आईटीआई संस्थानों को खाली सीटों को 22 सितम्बर 18 तक भरने की छूट दी गयी और 24 सितम्बर तक छात्रों का डाटा राज्य व्यावसायिक
प्रशिक्षण परिषद में अपलोड करना था।
यह अवधि 28 सितम्बर तक बढ़ाई गयी और फिर अवधि पांच अक्टूबर 2018 तक सभी संस्थानों को प्रवेश लिए छात्रों का डाटा अपलोड करने का आखिरी मौका दिया गया। राज्य परिषद को संस्थानों से प्राप्त डाटा राष्ट्रीय परिषद को
11 अक्टूबर 2018 तक भेजना अनिवार्य किया गया। राज्य परिषद द्वारा भेजे गए डाटा में त्रुटियों को सभी संस्थानों को 30 अक्टूबर तक दुरुस्त करने का मौका दिया गया।
पोर्टल पर जब अपलोडेड डाटा राष्ट्रीय परिषद को पूरी तरह से नहीं मिला तो राज्य परिषद को 01 दिसम्बर से 08 दिसम्बर 2018 तक डाटा राष्ट्रीय परिषद को भेजने का समय दिया गया। यह समय 29 मार्च 2019 तक दिया गया। 01
जुलाई से परीक्षा होनी थी, डाटा न मिल पाने एवं याचिकायें दाखिल होने केकारण परीक्षा 22 जुलाई से शुरू करने का निर्णय किया गया।
केंद्र सरकार के अधिवक्ता का कहना है कि 5 अक्टूबर 2018 तक संस्थानों को छात्रों का डाटा राज्य परिषद के पोर्टल पर अपलोड करना था। यह अवधि नहीं बढ़ायी गयी। इस अवधि तक राज्य परिषद में अपलोड डाटा के आधार
पर परीक्षा आयोजित की जा रही है।
संस्थानों का कहना है कि हजारों छात्रों का डाटा 5 अक्टूबर 2018 तक अपलोड नहीं हो सका। उनका भविष्य अधर में है। ऐसे छात्रों का डाटा स्वीकार कर परीक्षा में बैठने दिया जाय। 5 अक्टूबर 2018 के बाद पोर्टल
बन्द होने के कारण वे डाटा अपलोड नहीं कर सके। केंद्र सरकार संस्थानों को इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए समय देने को तैयार नहीं है। न्यायालय ने केंद्र सरकार व राज्य परिषद तथा याचियों के अधिवक्ताओं से सिलसिलेवार
संक्षिप्त तथ्य तैयार कर न्यायालय को देने को कहा है।
सं दिनेश
वार्ता
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