राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jul 19 2019 8:50PM राजनीति प्रियंका भाजपा दो लखनऊ/मिर्जापुरउप मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस जमीन के लिये खूनी संघर्ष हुआ, उसके विवाद की नींव 1955 में पड़ गयी थी जब ग्राम सभा की जमीन को 1985 में ट्रस्ट के नाम कर दिया गया था जबकि 1989 में इस जमीन को कुछ के नाम पर चढा कर दाखिल खारिज करा दिया गया। वर्ष 2017 में इन लोगों ने जमीन को व्यक्तिगत रूप से कुछ अन्य को बेच दिया और फिर इन लोगों ने आदिवासी किसानों पर दवाब बनाना शुरू किया। उन्होने कहा कि 1955 और 1985 से 1989 के बीच प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। मौजूदा सरकार ने इस पूरे घालमेल पर पर्दा उठाने के लिये अपर मुख्य सचिव राजस्व श्रीमती रेणुका कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है जो अपनी रिपोर्ट दस दिनो के भीतर सरकार को सौंपेगी। समिति के अन्य दो सदस्य श्रम विभाग के प्रमुख सचिव सुरेश चंद्रा और विंध्याचल मंडल के आयुक्त आनंद कुमार सिंह है। डा शर्मा ने कहा कि सरकार ने घटना में लापरवाही बरतने के आरोप में उप जिलाधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक, निरीक्षक,उपनिरीक्षक और एक सिपाही को निलंबित कर दिया है। इसके अलावा घटना में पुलिस की भूमिका को जांचने के लिये अलग से एक सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस काज का जिम्मा वाराणसी के अपर पुलिस महानिदेशक को सौंपी गयी है। उन्होने कहा कि सरकार ने घटना में मृत लोगों के परिजनों को पांच लाख रूपये और घायलों को 50 हजार रूपये की अनुग्रह राशि देने की अनुशंसा की है। उन्होने कहा कि इस सिलसिले में अब तक मुख्य आरोपी ग्राम प्रधान और उसके भाई समेत 29 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया है।प्रदीपजारी वार्ता