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मनमानी तरीके से पारित अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश को कांस्टेबलो ने दी चुनौती

मनमानी तरीके से पारित अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश को कांस्टेबलो ने दी चुनौती

प्रयागराज, 23 जुलाई (वार्ता) पुलिस विभाग में कांस्टेबलों की मनमाने तरीके से पारित किए जा रहे अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेशों को प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात कांस्टेबलो ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर चुनौती दी है।

याचिका में कहा गया है सेवानिवृत्ति के आदेश कानूनी प्रकिया का पालन किए बगैर और बिना सोच विचार के मनमानी तरीके से पारित किया जा रहा है।

न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने इस तरह की अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के बाद पुलिस विभाग और सरकार से 30 जुलाई तक जवाब मांगा है।

वाराणसी मे तैनात रहे महेन्द्र कुमार पाण्डेय और अन्य सिपाहियों की याचिका पर आदेश पारित कर न्यायालय ने इन सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करने के लिए 30 जुलाई की तिथि तय की है । ये याचिकाएं वाराणसी के

अलावा गोरखपुर, आगरा, गाजियाबाद, कानपुर मे तैनात कान्सटेबलो ने दायर की है।

सिपाहियों की तरफ से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश व्यक्तिगत नाराजगी के आधार पर मनमानी ढंग से जिला के पुलिस कप्तान द्वारा पारित किया जा रहा है । इस

प्रकार का आदेश पारित करने से पूर्व इस सम्बंध मे उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णयों को दरकिनार कर दिया गया है । यहां तक कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के सम्बन्ध मे उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की

गयी गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया गया है ।

इसके तहत एक स्क्रीनिंग कमेटी होगी जो सेवानिवृत्ति किए जाने वाले कर्मचारी का उसकी सेवा से सम्बंधित सारा ब्यौरा जुटाएगी । कर्मचारी का सर्विस रिकार्ड देखा जाएगा । उसकी प्रतिकूल प्रविष्टि आदि पर ध्यान दिया जाएगा तथा कर्मचारी को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिलेगा । लेकिन इसके विपरीत पुलिस विभाग में बिना किसी जांच के मनमाने तरीके से सिपाहियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश दिया जा रहा है, जो गलत होने के साथ साथ

गैरकानूनी है।

अधिवक्ता विजय गौतम ने ऐसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश को रद्द करने की उच्च न्यायालय से मांग की है तथा कहा है कि सिपाहियों को 60 वर्ष की आयु तक उन्हें सेवा में बने रहने दिया जाय । याचिका के समर्थन में उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णयों को आधार बनाया गया है तथा कहा गया है कि सारी कार्रवाई एकतरफा की जा रही है ।

सं दिनेश त्यागी

वार्ता

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