संतकबीरनगर 01 अगस्त (वार्ता) सरकार भले ही किसानों की आय दोगुनी करने के वादे को लेकर तमाम योजनाएं बनाने में लगी हो, लेकिन किसान अपनी खेती को लाभप्रद बनाने के लिए हमेशा नए-नए प्रयोग करते रहते हैं।
कहते हैं कि आदमी को अगर कुछ करने की चाह हो तो रास्ते खुद बा खुद मिल जाते हैं और जिंदगी को नई राह मिल जाती है। इसी का जीता-जागता उदाहरण पेश कर रहे हैं केले की खेती करने वाले उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल एवं सांथा ब्लाक क्षेत्र के किसान जिन्होंने परंपरागत खेती से हटकर लाभकारी फसल के रूप में केले की खेती को अपनाया और अपनी आय में वृद्धि की है। इसका प्रभाव जिले के अन्य ब्लाकों के किसानों पर भी पड़ रहा है।
जिस जमीन पर पहले किसान केवल धान और गेंहू की परंपरागत खेती करते थे और दिनरात महेनत करने के बाद भी घाटे का रोना रोते थे, वही किसान आज यहां केले की खेती करके न सिर्फ ख़ुद को आर्थिक रूप से समृद्ध कर रहे हैं बल्कि दूसरे लोगों के सामने नजीर पेश कर रहे हैं। केले की खेती एक तरह से किसानों के लिए वरदान साबित हुई है, जिससे इन किसानों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। इसी का नतीजा है कि केले की खेती में क्षेत्र के काफी किसान जुड़ते जा रहे हैं।
संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल क्षेत्र के ग्राम बिसौवा, सड़हरी, जमुअरिया, डंड़ियाकला, ददरा, नटवा, बिचऊपुर सहित दर्जनों गांवों के खेतों में केले की खेती लहलहा रही है। क्षेत्र के बेरोजगार युवक रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन करने की बजाय केले की खेती को आमदनी का जरिया बना रहे हैं । यहां के किसान केले की खेती को अपनाकर ज्यादा मुनाफा कमाने रहे हैं। देखते ही देखते अन्य गांवों में भी लोगों ने केले की खेती शुरू कर दी है।
जिला उद्यान अधिकारी संतोष दूबे ने बताया कि इस समय में केले की खेती किसानों के लिए सर्वाधिक लाभप्रद है। उन्होंने बताया कि केला पूरे साल की खेती है। पानी की सुविधा के अनुसार केले की पेंड़ी रोपाई जून से अगस्त माह तक की जा सकती है। केले की खेती के लिए ऐसी जमीन ज्यादा उपयोगी है जहां पानी हमेशा उपलब्ध हो लेकिन खेत में पानी रुकना नहीं चाहिए।
सं त्यागी
जारी वार्ता