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फीचर लक्ष्मीबाई चंबल दो इटावा

श्री शर्मा ने बताया कि चकरनगर से 11 किलो मीटर की दूरी पर रियासत भरेह थी। जहां राजा रुप सिंह का शासन था। अभिलेख बताते हैं कि 1857 की क्रांति में हिस्सा लेने वाले अधिकांश नबाव व राजा अपने अधिकारों की रक्षा की लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन इतिहास का एकमात्र क्रांतिकारी राजा रुप सिंह ऐसा सिपाही था, जिसने अपने सभी राजसी वैभव को दांव पर लगा कर मेहनतकश मजदूरों के हक के लिए अंग्रेजों से लोहा लिया।
आज़ादी के इतिहास का यह पहलू बीहड़ी इलाके में यमुना नदी के किनारे समेटे हुए है, जहाँ मौजूद अवशेष अपनी कहानी बयां करते हैं। यहाँ राजा निरंजन सिंह जूदेव का किला होने के साथ ही बंदरगाह हुआ करता था 1857 से पहले यही से जलमार्ग के जरिये व्यापार होता था। राजा के सैनिक नारियल बाल्मीक ने इसी जगह पर दो अंग्रेजो को मार गिराया था। इसके बाद ही अंग्रेजों ने किले की तोप से उड़ा दिया चकरनगर खेड़ा की बस्ती भी तोपों से उड़ा दी गई। राजा निरंजन सिंह जूदेव ने सीमित संसाधनों के बावजूद हार नहीं मानी और तीन वर्ष तक जंगल में छुपकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपने वफादारों के साथ लोहा लेते रहे।
इतिहासकार ने कहा कि वर्ष 1960 में अंग्रेजी बाजा राजा निरंजन सिंह जूदेव के बीच जबरदस्त भिड़ंत अंग्रेजों ने राजा को पकड़ लिया और काला पानी की सजा दी। 1857 में मेरठ स्थित सैनिक छावनी में अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ उठी बगावत की आग को तेज करने तथा हकूमत का नामोनिशान मिटाने के लिए विद्रोह की चिंगारी में भरेह के राजा रुप सिंह ने घी का काम किया।
भरेह के राजा रूप सिंह ने 1857 की क्रांति में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने अंग्रेजों की बढ़ती गतिविधियों पर सिकरौली के राव हरेंद्र सिंह व चकरनगर रियासत के राजा निरंजन सिंह से मिलकर इटावा में अंग्रेजों के वफादार कुंवर जोरसिंह और सरकारी अधिकारियों को हटाने की मुहिम छेड़ दी थी। दोनों ही राजाओं ने झांसी की रानी को समर्थन देकर अंग्रेजों को खुली चुनौती दी।
राजा भरेह कुंवर रूप सिंह ने शेरगढ़ घाट पर नावों का पुल बनवाया। इस कार्य में निरंजन सिंह सहित क्रांतिकारी जमीदारों ने उनका साथ दिया। झांसी के क्रांतिकारियों ने शेरगढ़ घाट से यमुना नदी पार कर 24 जून 1857 को औरैया तहसील को लूटा। कई बार अंग्रेजी सिपाहियों से भरेह व चकरनगर के राजाओं के बीच लड़ाई हुई। अगस्त 1857 के आखिरी सप्ताह में अंग्रेजी फौज 18 पाउंड की तोपें लेकर व्यापारियों की नावों से यमुना नदी के रास्ते भरेह पहुंची और राजा के किले पर हमला किया।
सं प्रदीप
जारी वार्ता
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