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लोकरूचि-रक्षा बंधन तीन अन्तिम प्रयागराज

इतिहास इसका गवाह है, मुग़ल सम्राट हुमायूं और राजपूत रानी कर्णावती की कहानी शुद्ध भाई-बहिन के प्यार का प्रतीक है। राखी सिर्फ धागा नहीं है बल्कि भाई और बहिन के बीच भावनात्मक जुड़ाव है। मध्यकालीन युग में राजपूत एवं मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था। रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा की विधवा थीं। उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न/न निकलता देख रानी ने हुमायूँ को राखी भेजी थी।
हुमायूं इस हिंदू परंपरा को अच्छे से जानता था इसलिए उसके दिल की गहराइयों में रानी कर्णावती का प्यार उतर गया और उसने तुरंत अपने सैनिकों को युद्ध बंद करने का आदेश दिया। हूमायूं ने रानी कर्णावती को अपनी बहिन का दर्जा दिया और उम्रभर रक्षा का वचन दिया और पालन किया।
दूसरा उदाहरण एलेग्जेंडर और पुरु का माना जाता है। हमेशा विजयी रहने वाला एलेग्जेंडर भारतीय राजा पुरु के आगे टिक न सका। एलेग्जेंडर की पत्नी ने रक्षा बंधन के बारे में सना था। उसने राजा पुरु को राखी भेजी तब उन्हाेंने युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दी। इसके बाद राजा पुरु ने एलेग्जेंडर की पत्नी को बहिन का दर्जा दिया और उसकी रखी की लाज रखी। इस ऐतिहासिक घटना में भाई-बहिन के प्यार को मजबूती प्रदान की ।
रक्षा बंधन से जुडा एक और दिलचस्प पौराणिक प्रमाण महाभारत में भागवान श्रीकृष्ण का है। श्रीकृष्ण ने शिशुपाल की जब हत्या की तो उनकी एक उंगली से खून बहने लगा। उस समय द्रोपदी ने अपनी साडी का एक कोना फाडकर
उनकी कलायी से लेकर उंगली में बांध दिया। जिससे खून बहना बन्द हो गया था। तब श्रीकृष्ण ने द्रोपदी की रक्षा का वचन दिया। कौरवों की भरी सभा में दुशासन द्वारा द्रोपदी का चीर हरण होने से लाज बचाकर अपने वचन का मान रखा
और उन्हें बहिन का दर्जा और सममान दिया। इनमें सभी मुंह बोली बहिन थी।
शहर के वरिष्ठ रंगमंच कर्मी और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के लेखाविभाग में कार्यरत सुधीर सिन्हा ने बताया कि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में जन जागरण के लिये भी इस पर्व का सहारा लिया गया। श्री रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने बंग-भंग का विरोध करते समय रक्षाबन्धन त्यौहार को बंगाल निवासियों के पारस्परिक भाईचारे तथा एकता का प्रतीक बनाकर इस
त्यौहार का राजनीतिक उपयोग आरम्भ किया।
उन्होने कहा पचास और अस्सी के दशक तक रक्षा बंधन हिंदी फिल्मों का लोकप्रिय विषय रहा। ‘रक्षाबंधन’ से जडी कई फिल्में बनाई गयीं। राखी, रक्षाबंधन, राखी और हथकडी और राखी और रायफल फिल्मों को निर्माण किया गया।
इनके गीत “ बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है, प्यार के दो तार से संसार बांधा है। “भइया मेरे राखी बंधन को निभान, भैय मेरे छोटी बहिन को न भुलाना” आज भी भाई और बहिन के प्यार को संजीदा बनाते हैं।
दिनेश भंडारी
वार्ता
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