प्रयागराज,20 अगस्त (वार्ता)उत्तर प्रदेश के तीर्थराज प्रयागराज में गंगा और यमुना के जलस्तर बढ़ोत्तरी की रफ्तार भले ही कम हो गयी है लेकिन खतरा अभी टला नहीं है।
बाढ़ नियंत्रण कक्ष द्वारा जारी आंकडों के अनुसार मंगलवार को फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 82.87 मीटर, छतनाग में 82.11 और नैनी में यमुना 82.70 मीटर दर्ज किया गया है। सोमवार को इसी समय फाफामऊ में गंगा 82.23, छतनाग 81.49 और यमुना 82.16 मीटर दर्ज किया गया था। पिछले 24 घंटे में गंगा 64 सेंटीमीटर, छतनाग 63 सेंटीमीटर और यमुना 62 सेंटीमीटर बढ़ी थी। उसके बाद से गंगा फाफामऊ और छतनाग में स्थिर हैं जबकि यमुना
न्यूनतम दो सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ रही हैं। खतरे का निशान 84.734 मीटर दर्ज है।
सिंचाई विभाग (बाढ़ प्रखंड) के अधिशासी अभियंता बृजेश कुमार ने बताया कि केन से यमुना में आए पानी के बढ़ने की रफ्तार कम हुई है लेकिन खतरा टला नही है। खतरे के निशान को छूने के लिए बेताब गंगा और यमुना में पानी बढऩे की रफ्तार धीमी पड़ गई है। इससे बाढ़ का फिलहाल खतरा कम नजर आने लगा है। हालांकि प्रशासन इन नदियों के जलस्तर के कारण संभावित बाढ़ से निपटने के लिए अलर्ट है। एहतियात के तौर पर संभावित बाढ़ प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ, पीएसी और जल पुलिस की टीमें सक्रिय हैं। एनडीआरएफ की एक टीम लेखपाल ट्रनिंग स्कूल करेली में कैंप कर रही है। किसी भी आपदा की स्थिति से निपटने के लिये टीम तैयार है।
उन्होने बताया कि हथिनी कुण्ड, भीमगौडा और नरौरा बांध से पिछले दिनों छोड़े गये पानी के यहां पहुचने पर एक बार पुन: जनस्तर बढने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होने बताया कि इनके यहां पहुंचने में एक सप्ताह से अधिक का समय लगता है। हथिनीकुंड से पिछले चार दिन में छोड़ा गया आठ लाख क्यूसेक से अधिक पानी 24 अगस्त के बाद कभी भी यहां पहुंचेगा।
उत्तराखंड से अभी तक तीन लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा जा चुका है। दोनों राज्यों का पानी एक साथ पहुंचने पर शहर के रिहायशी इलाकों में मुश्किल बढ़ जाएगी। हजारों परिवारों को घर छोड़ना पड़ सकता है। पांच दिन बाद आने वाले खतरे को देखते हुए सिंचाई विभाग (बाढ़ प्रखंड) और प्रशासन अलर्ट हो गए हैं। खतरे के मद्देनजर प्रशासन और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने सोमवार को बक्शीबांध, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और पंपिंग स्टेशनों पर निगरानी बढ़ा दी।
फाफामऊ का कछारी क्षेत्र पानी में डूबने से वहां बोई गयी फसलें जलामग्न हो गयी हैं। निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपने सामान समेत सुरक्षित स्थान पर चले गये हैं। नाविकों ने बाढ़ को देखते हुए अपने -अपने नाव को सुरक्षित स्थान पर बांध दिया है। जलस्तर कम होने के बाद गंगा और यमुना में पुन: नाव उतरेंगी।
दिनेश भंडारी
वार्ता