राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Sep 3 2019 9:04PM नहीं चेते तो प्रदूषण की कीमत जान देकर चुकाएगी अगली पीढ़ी : प्रो. त्रिपाठी
लखनऊ 03 सितंबर, (वार्ता) अंधाधुंध औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के दुष्प्रभावों के प्रति आगाह करते हुये वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर जनसहभागिता की मुहिम नहीं चलायी गयी और आने वाली पीढियों को प्रदूषण की कीमत जान देकर चुकानी होगी।
वातावरण प्रदूषण के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता प्रसारित करने के लिए एमिटी स्कूल आॅफ एप्लाइड साइंसेज की मंगलवार को शुरू हुयी दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में वैज्ञानिकों ने पर्यावरण प्रदूषण को विश्व की सबसे गंभीर समस्या करार दिया।
डा राम मनोहर लोहिया अस्पताल के निदेशक प्रो ए.के. त्रिपाठी ने कहा कि तेजी से होते औद्योगिकीकरण और शहरीकरण ने पर्यावरण को अत्यंत प्रदूषित कर दिया है जिसका दुष्प्रभाव हमारी पारिस्थितिकी पर दिखाई देने लगा है। अगर हमें तुरंत ही इस समस्या का समाधान नहीं किया तो हमारी आने वाली पीढ़ियां इसके गंभीर नतीजे भुगतेंगी। पृथ्वी पर भयानक प्राकृतिक आपदाएं अपना घर बना लेंगी और इसकी कीमत हमें अपने स्वास्थ्य और जान देकर चुकानी होंगी।
वायु, जल और मृदा प्रदूषण के मुद्दे पर बात करते हुए उन्होने कहा “ हमारे शरीर के भीतर भी सूक्ष्मजीवों का एक संसार है जिसके साथ हम जीवन जीते हैं। जल, वायु और मृदा प्रदूषित होने के कारण यह प्रदूषण हमारी खाद्य श्रंखला में पहुंच गया है जिसके नतीजे में हमारे शरीर के वो सूक्ष्मजीव नष्ट हो रहे है। शरीर की व्यवस्था बिगड़ने से कैंसर जैसी बीमारियां हमें चपेट में ले रही है। ”
प्रदीप
जारी वार्ता