प्रयागराज, 05 सितम्बर (वार्ता) नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बाल मजदूरी में फंसकर बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, लेकिन इन बच्चों की शिक्षा पर खर्च हुआ पैसा कई गुना होकर लौटता है क्योंकि ये बच्चे राष्ट्र की संपत्ति बनते हैं।
पूरब का आक्सफोर्ड कहे हाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बृहस्पतिवार को आयोजित दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि श्री सत्यार्थी ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा,“इस विश्वविद्यालय में 22 साल में दीक्षांत समारोह देखने को मिल रहा है। मुझे इस बात की खुशी है कि चांसलर मेडल प्राप्त करने वाले छह विद्यार्थियों में पांच छात्राएं हैं, बेटियां अब बेटों से कहीं आगे निकल रही हैं।”
श्री सत्यार्थी ने कहा कि दुनिया में आज प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए सालाना 40 अरब डॉलर की जरूरत है, जहां हर साल विश्वविद्यालयों से उच्च शिक्षा हासिल कर निकल रहे छात्र नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं, वहीं कल- कारखानों में बाल मजदूर इन पढे लिखे लोगों का रोजगार छीन रहा है।
इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और इसी विश्वविद्यालय के छात्र रहे केशरी नाथ त्रिपाठी मानद उपाधि से सम्मानित किए गये।
मानद उपाधि ग्रहण करने के बाद श्री त्रिपाठी ने कहा, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय की मानद उपाधि मेरे लिए सम्मान और गर्व की बात है। मैं यहां का पुरा छात्र रहा हूं। अपनी उच्च शैक्षणिक गतिविधियों के कारण इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पूरब का ऑक्सफोर्ड कहा जाता है। ऐसे में विश्वविद्यालय की मानद उपाधि को मैं दिल से स्वीकार करता हूं।”
विश्वविद्यालय द्वारा प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह को डीलिट की उपाधि प्रदान की गई। हालांकि सिंह इस दीक्षांत समारोह में शामिल नहीं हुए और उनकी ओर से विश्वविद्यालय के कुल सचिव एन के शुक्ला ने यह उपाधि
प्राप्त की।
दीक्षांत समारोह में छह विद्यार्थियों को चांसलर मेडल प्रदान किए गए जिनमें स्नातक पाठ्यक्रम में प्रगति गुप्ता को स्वर्ण पदक और धनंजय मिश्रा को रजत पदक दिया गया। वहीं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में सौम्या सिंह को स्वर्ण पदक, शुभि तिवारी को रजत पदक, शरिभा अख्तर को कांस्य पदक और शिखा अरोड़ा को कांस्य पदक प्रदान किया गया।
इनके अलावा, 57 छात्र छात्राओं को विश्वविद्यालय पदक से सम्मानित किया गया, जबकि विभिन्न संकायों से 181 छात्र-छात्राओं को पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई।
इस बीच विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में प्रवेश नहीं दिए जाने को लेकर प्रदर्शन कर रहे 10-12 छात्र-छात्राओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
23 सितंबर, 1887 को स्थापित इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने 2005 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल किया और इस तरह से केंद्रीय दर्जा प्राप्त करने के बाद यह विश्वविद्यालय का पहला दीक्षांत समारोह था। सीनेट हाल में सीमित स्थान होने के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रावासों में इस समारोह का सीधा प्रसारण की व्यवस्था की थी जिससे करीब 10,000छात्र-छात्राओं ने छात्रावास में इसका प्रसारण देखा। वहीं विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर सीधा प्रसारण के लिए यूट्यूब लिंक दिया गया था। इस लिंक के जरिए करीब 7,000 छात्रों को दीक्षांत समारोह देखा।
दिनेश त्यागी
वार्ता