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उत्तर प्रदेश-संत संगोष्ठी दो गोरखपुर

इस मौके पर गुजरात के जूनागढ से आये महन्त शेरनाथ ने कहा कि दुनिया की श्रेष्ठतम हिन्दू संस्कृति, श्रेष्ठतम हिन्दू जीवन पद्धति एवं श्रेष्ठतम् सामाजिक व्यवस्था में जाति के आधार पर ऊँच-नीच की भावना और छुआछूत एक
कोढ है। धार्मिक संकीर्णता भी हमारे समाज को रूढिगत बनाता है। देश के सन्त-महात्मा एवं धर्माचार्य तो स्वतंत्रता के बाद से ही सामाजिक समरसता का अभियान छेड़ दिया। । उन्होनें कहा कि हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के वाहक है। हिन्दू संस्कृति तो कण-कण में भगवान का दर्शन कराती है और जहाॅ अद्वैत वेदान्त का दर्शन गूॅजा, उस संस्कृति में छुआछूत एवं धार्मिक संकीर्णता जैसी अमानवीय रूढिवादी व्यवस्था की स्वीकृति कैसे की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज में छुआछूत, उॅच-नीच, अमीर-गरीब, नारी-पुरूष जैसे किसी भी विषमता को कोई स्थान नहीं
है और न ही ये शास्त्र सम्मत है। हिन्दू समाज अपनी संस्कृति के शाश्वत पक्षों को पहचाने, संस्कृति को स्वीकारे और सामाजिक विकृति की त्याग करें। भारत माता का हर वह पुत्र जो भारतीय परम्परा का वाहक है वह एक समान है, एक जैसा है, न कोई ऊॅचा है न कोई नीचा है।
दिगम्बर अखाड़ा, अयोध्या के महन्त सुरेशदास ने कहा कि ‘छुआछूत मिटाओं और देश बचाओ’ का मंत्र फूॅंकना होगा। छुआछूत की भावना और धार्मिक संकीर्णता से हिन्दू समाज कमजोर होता है, राष्ट्र कमजोर होता है। सामाजिक समरसता को व्यवस्था परिवर्तन का हिस्सा बनाना होगा और सामाजिक समरसता अभियान के लिए शिक्षण
संस्थाओं को आगे आना होगा।
उन्हाेंने कहा कि हमारे यहाॅ वर्ण व्यवस्था थी किन्तु छुआछूत नही था। छुआछूत मध्यकाल के मुस्लिम शासन काल की देन है। मुस्लिम काल में हिन्दू समाज में अनेक विकृतियाॅ उत्पन्न हुई और कालान्तर में वे रूढिग्रस्त हो गई मगर अब समय आ गया है कि हमें समतायुक्त,शोषणमुक्त समाज की रचना करना चाहिये। भारत में सामाजिक विषमता की
विषबेली विकसित हुई तो भगवान बुद्ध से रमणि महर्षि, स्वामी रामानन्द, नाथ पंथ की पूरी परम्परा, बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर और ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ तथा ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ तक की महात्माओं, संतो की एैसी परम्परा मिलती है जो सदा इसके खिलाफ संघर्ष करते रहे हैं। भारत मे धर्मगुरुओं की एक श्रेष्ठ परम्परा रही है
जो संस्कृति में आई विकृति के खिलाफ सदा लड़ते रहे है।
श्री दास ने कहा कि छुआछूत के खिलाफ भारत में जारी संघर्ष का नेतृत्व आज भी गोरक्षपीठ कर रहा है। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है भारत मानवता की भूमि है। भारत देवभूमि है और भारत एक समरस, संवेदनशील और सभी में एक ही परमात्मा का अंश मानने वाले दर्शन की भूमि है इसलिए कालान्तर में आयी छुआछूत जैसे विकृति का
भारतीय समाज में होना एक अभिशाप है।
उन्होंने कहा राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए सम्पूर्ण हिन्दू समाज को एक करने का गोरक्षपीठाधीश्वी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो प्रयास कर रहे है, देश का सन्त समाज उनका नेतृत्व स्वीकार करता है। हम सभी हिन्दू समाज की रूढिवादी व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर भारत में एक ही जाति की स्थापना में लगे है, वह हिन्दू जाति होगी।
उदय त्यागी
जारी वार्ता
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