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उत्तर प्रदेश-योगी भाकियू दो अंतिम लखनऊ

श्री टिकैत ने बताया कि मुख्यंमंत्री को सौंपे 21 सूत्रीय मांग पत्र में कहा है कि किसान काफी समस्याओं से जूझ रहा है। प्रत्येक किसान परिवार की आमदनी लगभग 4000 प्रति माह है। वर्तमान में सरकार के बिजली बिल में वृद्धि के निर्णय किसान हितों पर कुठाराघात है। चार हजार रुपये में एक परिवार का पालन करना बहुत ही असंभव काम है । लघु और सीमांत किसान खेती छोड़ने के लिए तैयार हैं अगर उन्हें कोई दूसरा अवसर मिले। उत्पादन लागत में वृद्धि के अनुसार फसलों का मूल्य न मिलने के कारण किसानों पर कर्ज का भार बढ़ता जा रहा है।
श्री टिकैत ने कहा कि पिछले दो वर्षों से गन्ना उत्पादन लागत में लगभग 50 प्रतिशत वृद्धि हुई है। आगामी सत्र के लिए गन्ना मूल्य का निर्धारण स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर लागत में 50 प्रतिशत जोडकर 450 रुपये कुन्तल तय की जाए। शुगर मिल अक्टूबर के प्रथम सप्ताह से चलायी जाए। शुगर केन एक्ट में गन्ना आयुक्त को ब्याज माफ करने वाली शक्ति प्रदान करने वाली धारा को समाप्त किया जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा के बाद भी प्रदेश के गन्ना किसानों का बकाया भुगतान नहीं हो पा रहा है। पिछले वर्ष सरकार की पर्ची वितरण की नई व्यवस्था से किसानों को जनवरी तक पर्ची मिल पायी थी। सभी समितियों में पर्चियों का असमान वितरण व सभी किसानों को समय से कलैण्डर जारी नहीं किये गये थे। शुगर मिल चलने से पूर्व कलैण्डर जारी किये जाएं। सट्टा तय करते समय हर वर्ष किसानों से खसरा खतौनी व हिस्सा प्रमाण पत्र न लिया जाए।
मांत्र पत्र में प्रदेश में स्वामीनाथन कमेटी के रिपोर्ट के अनुसार सभी फसलों सहित दूध का राज्य परामर्शी मूल्य तय करते हुए धान का मूल्य 2700 रुपये कुन्तल, गेंहू 2600 रुपये कुन्तल, आलू का मूल्य 1500 रुपये कुन्तल तय किया जाए। सभी फसलों की शत-प्रतिशत सरकारी खरीद की जाए।
धान खरीद के लिए समुचित क्रय केन्द्रों की स्थापना की जाए एवं प्रदेश के सभी किसानों के धान की शत-प्रतिशत खरीद की जाए। धान के क्रय केन्द्र एक अक्टूबर से चालू किए जाएं। बरेली मंडल जोन की मंडियों में तली के धान को छोडने की प्रथा पर अंकुश लगाया जाए। समर्थन मूल्य से कम पर खरीद करने वाले लोगों के विरूद्ध कार्रवाई की जाए। नकद खरीद पर दो प्रतिशत टीडीएस शुल्क न लिया जाए।
उत्तर प्रदेश शीतग्रह विनियमन अधिनियम 1976 की धारा 29 को समाप्त कर आलू का किराया तय करने का अधिकार पुनः सरकार द्वारा लिया जाए। ग्रामीण क्षेत्र एवं निजी नलकूप की दरों में की गई वृद्धि को वापिस लेकर बिजली की दरों में कमी की जाए। देश के 7 राज्यो की तर्ज़ पर उत्तर प्रदेश के किसानों को भी बिजली सिंचाई हेतु निःशुल्क दी जाए।
सामान्य योजना के तहत स्वीकृत निजी नलकूप कनेक्शन के सामान का शत-प्रतिशत लक्ष्य निर्गत किया जाए। सामान्य योजना के तहत कनेक्शन पर दी जाने वाली सब्सिडी में वृद्धि करते हुए पूर्व की भांति 300 मीटर लाईन व ट्रांसफार्मर दिया जाए। सहकारी समितियों द्वारा खरीफ का ऋण वितरण एक अप्रैल से 31 अगस्त तक और रबी का ऋण एक सितम्बर से 31 मार्च तक होता है। किसानों को यह ऋण पूर्व की भांति एक साथ दिया जाए।
प्रदेश में नई नहरों का निर्माण एवं चौगामा नहर परियोजना व बुंदेलखण्ड पंचनदा बांध परियोजना को अविलम्ब पूरा किया जाए। बुंदेलखण्ड में नदियों का पानी बांध में रोककर लिप्ट सिंचाई से खेतों तक पानी पहुंचाया जाए। लघु सिंचाई योजना में नलकूप की सब्सिडी व ऊर्जीकरण खर्च बढ़ाया जाए।
नए मोटर वाहन अधिनियम को गुजरात सहित कई राज्यो की सरकारों ने लागू नहीं किया है। नए अधिनियम में जनता की राय लेकर बदलाव करते हुए कृषि वाहनों को इससे मुक्त किया जाए। एनजीटी के पुराने वाहनों पर आदेश से ट्रैक्टर को मुक्त किया जाए। सभी तरह के वाहनों की समय सीमा 15 वर्ष की जाए।
कृषि वार्निकी के तहत किसानों द्वारा पाॅपलर, सागौन, यूकेलिप्टिस की खेती की जा रही हैं। किसानों का उत्पीड़न मण्ड़ी समिति व वन विभाग द्वारा किया जा रहा हैं। कृषि वार्निकी के तहत आने वाले सभी वृक्षों पर सभी जिलों में कटाई एवं ढुलाई पर लगाये गये प्रतिबन्ध को समाप्त करते हुए मण्ड़ी शुल्क भी समाप्त किया जायें। मेंथा को फसल का दर्जा देते हुए मण्ड़ी शुल्क समाप्त किया जायें।
मांग पत्र में प्रदेश में जंगली एवं आवारा पशुओं से निजात दिलाई जाय। बुंदेलखंड में अन्ना प्रथा पर रोक लगाई जाए।
बुंदेलखंड में प्रकृति के मार से पिछले 10 वर्षों से वहाँ का किसान फसल पैदा न होने के कारण किसान आत्महत्या कर रहा है। हाल में बुंदेलखंड के 7 जिलों में लगभग 90 हजार किसानों की रिकवरी जारी की गई है। इससे किसानों की आत्महत्या में वृद्धि हो रही है। सभी रिकवरी वापस कर सभी किसानों का कर्ज माफ किया जाय।
किसान सम्मान निधि योजना में राज्य सरकार का अंशदान बढ़ाकर इसे 10,000 रुपये किया जाए। आन्ध्र एवं तेलंगाना राज्य की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जाए। प्रदेश में एक बेहतर किसान पेंशन योजना प्रीमियम रहित चालू की जाए। जिसका लाभ 60 वर्ष की आयु के सभी किसानों को तत्काल दिया जाए।
कृषि, पशुपालन, गन्ना, उद्यान, मतस्य आदि कृषि से सम्बन्धित विभागों द्वारा एक्सटेंशन का कार्य नहीं किया जा रहा है। किसान विभाग की बजाय कम्पनियों की सलाह पर कार्य कर रहे हैं। विभागों द्वारा समय-समय पर किसानों को एडवायजरी जारी करते हुए एक्सटेंशन का कार्य किया जाए।
किसानों को कीटनाशक, बीज गुणवत्तापूर्ण व समय से उपलब्ध कराये जाएं। बाजार में बिक रहे नकली बीज, खाद कीटनाशकों पर रोक लगाई जाए। राज्य में कान्ट्रैक्ट फार्मिंग लागू करने की चर्चा चल रही है। इस सम्बन्ध में तैयार किए गए मसौदे को सार्वजनिक कर किसान संगठनों से वार्ता कर इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाए।
आन्दोलन के दौरान किसानों पर सभी मुकदमे वापस लिये जाये। लखीमपुर खीरी में फर्जी मुकदमें में बन्द भाकियू नेता रामसिंह वर्मा को रिहा किया जाए। प्रदेश में पात्र लोगों के राशन कार्ड प्राथमिकता के आधार पर बनायें जाएं।
तथा प्रदेश में बाढ़ एवं अतिवृष्टि से हुई किसानों की हानि की भरपाई (बीमित व अबीमित) की जाए।
त्यागी
वार्ता
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