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उत्तर प्रदेश शेर सफारी पार्क दो अन्तिम इटावा

श्री सिंह ने बताया कि शेरों को लाए जाने से पहले ही उनके सुरक्षित रख-रखाव की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी । सफारी के अंदर काफी बड़ी जगह में एनीमल हाउस बनाया गया है जिसमें इन सात शेरों के लिए अलग-अलग बाड़े भी बनाए गए हैं। यह व्यवस्था अस्थाई है बाद में इन्हें ब्रीडिंग सेंटर में शिफ्ट कर दिया जाएगा। सफारी में बाहर से जब भी शेरों को लाया जाता है तो कम से कम तीन सप्ताह तक उन्हें एनीमल हाउस में रखा जाता है। बाद में ब्रीडिंग सेंटर में शिफ्ट किया जाता है।
उन्होने बताया कि चार दिन पूर्व इटावा सफारी से एक टीम इन शेरों को लेने के लिए गुजरात के जूनागढ़ के शक्करबाग चिड़ियाघर गई थी। जहां से 1400 किलोमीटर का सफर तय करके उनको यहां पर लाया गया है। इन शेरों को लाने से पहले केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुमति भी प्राप्त कर ली गई थी, हालांकि सफारी प्रशासन ने यह कहा था कि शेरों को गुरुवार को इटावा सफारी पार्क में लाया जाएगा। गोपनीयता के तहत बुधवार की रात को ही इन्हें सफारी पार्क में लाया गया । इन शेरों में से चार शेर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में बन रहे असफाक उल्ला प्राणी उद्यान में भेजे जाने हैं। जिन्हें कुछ माह यहां रखकर भेजा जाएगा।
श्री सिंह ने बताया कि सफारी प्रशासन का मुख्य मकसद यहां शेरों का कुनवा बढ़ाने का है। इसीलिए ज्यादा संख्या में शेरनी लाई जा रही हैं। सफारी में फिलहाल जो छह शावक हैं उन सभी को शेरनी जेसिका ने जन्म दिया है। अब गुजरात से जेसिका की बेटी जेनीफर को भी शेरों के इसी बेड़े के साथ सफारी में लाया गया है। ऐसी संभावना है कि जेनीफर भी अपनी मॉ जेसिका की ही तरह इटावा सफारी पार्क मे शेरों का कुनवा बढ़ाएगी। शेरों को लाने वाली टीम में डाक्टर व कीपर भी शामिल हैं। इनमें वे कीपर भी हैं जो इटावा सफारी में शेरों की देखरेख करेंगे। फिलहाल सफारी में छह शावक तथा पांच शेर-शेरनी रह रहे हैं।
इन शेरों को लाने के लिए इटावा सफारी पार्क से रेंजर विनीत सक्सेना, बायोलॉजिस्ट आरबी उत्तम, डा. आरपी वर्मा, गौरव श्रीवास्तव, जू कीपर आसिफ समेत 10 लोगों की टीम गई थी । एक अक्टूबर से वन्यजीव सप्ताह की शुरूआत होती है। इसी सप्ताह में इटावा सफारी को खोले जाने की तैयारी चल रही है।
सं भंडारी
वार्ता
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