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उत्तर प्रदेश-योगी गोरखनाथ दो अंतिम लखनऊ

मुख्यमंत्री ने कहा कि महायोगी गोरखनाथ भारतीय धर्मसाधना एवं साहित्य के अप्रतिम व्यक्तित्व हैं। उनके द्वारा प्रवर्तित एवं संघटित ‘नाथ-सम्प्रदाय’ का हिन्दूकुश एवं हिमालय की गोद में समुद्र पर्यन्त बसे भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश के साथ-साथ चीन, मंगोलिया, तिब्बत, जापान एवं पूर्वी द्वीप समूह में व्यापक प्रभाव रहा है। अपने युग में एक व्यापक सामाजिक-आध्यात्मिक एवं धार्मिक क्रान्ति को जन्म देने वाले महायोगी गोरखनाथ ने लोक-कल्याण का शाश्वत मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा महायोगी गुरु गोरखनाथ जैसी दिव्य विभूति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाना अत्यन्त सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ के अभ्युदय की समकालीन परिस्थितियों तथा सामाजिक, धार्मिक व आध्यात्मिक परिवर्तन में गोरखनाथ की अद्वितीय भूमिका का समग्र शोधपरक विवेचन भी युगधर्म है। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में गुरु गोरखनाथ जी पर एक शोधपीठ की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ पर एक इनसाइक्लोपीडिया तैयार किया जाना आवश्यक है, जिससे वर्तमान और भावी पीढ़ी उनके विषय में जान सके।
इस मौके केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डाॅ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अपने सम्बोधन में कहा कि महायोगी गोरखनाथ जी जैसे महान व्यक्तित्व पर संगोष्ठी का आयोजन किया जाना अत्यन्त प्रशंसनीय है। गुरु गोरखनाथ जी को शिव का रूप माना जाता है। प्रत्येक व्यक्ति सुख-दुःख में शिव को याद करता है। उनके द्वारा दी गयी शिक्षाएं न सिर्फ भारत में बल्कि कई देशों में भी प्रचलित हैं, जो भारतीय ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा को भी सिद्ध करती है।
श्री निशंक ने कहा कि योग के माध्यम से ही तन व मन को स्वस्थ रखा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से योग को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। नये भारत के निर्माण व ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को साकार करने में योग का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि भारत विश्वगुरु बनने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुका है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने कहा कि नाथ साहित्य काफी समृद्ध साहित्य है। गुरु गोरखनाथ जी के भजन ने सूक्ति का रूप ले लिया है। वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ0 कन्हैया सिंह ने कहा कि इतिहास के शून्य समय में गुरु गोरखनाथ ने एक अलख जलायी। उन्होंने सामाजिक समरसता का समाज को जो संदेश दिया वह आज भी अत्यन्त प्रासंगिक है।
भाषा विभाग के प्रमुख सचिव जितेन्द्र कुमार ने कार्यक्रम में आये सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर सूचना विभाग एवं हिन्दी संस्थान के निदेशक शिशिर तथा बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी एवं शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
त्यागी
वार्ता
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