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लोकरूचि चंबल बयार तीन अंतिम इटावा

फिल्म निर्माता डा.राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि चंबल घाटी अपनी प्राकृतिक एवं औषधीय धरोहर के साथ एक सम्पन्न क्षेत्र है जो फिल्म संस्कृति के सर्वथा अनुकूल है । यह क्षेत्र जिस प्रकार के भौगोलिक स्थिति को अपने भीतर समोये हुए है वह सकारात्मक विचार एवं एकजुटता के संग प्रयत्न किए जाने पर यहाॅ के निवासियों को एक सुनहरा भविष्य प्रदान करने में सक्षम है।
तेलगू और हिंदी के सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता और निर्देशक आदित्य ओम ने कहा कि चम्बल की अनूठी संस्कृति और विरासत इस देश की अनमोल धरोहर है । फिल्म निर्देशक और एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर यहाॅ की कहानियों और समस्याओं ने हमेशा मुझको झिंझोड़ा है । यहाॅ की भूमि और प्रतिभाओं से रिश्ता और अटूट हुआ । मेरी फिल्म ‘ मैला ‘ की शूटिंग भी इसी के दौरान चम्बल की पृष्ठभूमि पर शुरू की । आशा है कि आने वाले समय में चंबल में पर्यटन और विकास का कार्य और गति पकड़ेगा क्योंकि इस इलाके में इसकी अनंत संभावनाएॅ हैं ।
फिल्म अभिनेता रफी खान ने कहा कि चम्बल में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में यहां की युवा पीढी को लेकर बहुत संभावनाएं हैं । इसके अलावा यहां की मिट्टी में रची बसी अनगिनत बागियों, क्रांतिकारियों की कहानियों को और चंबल की लोक शैली, गायन, यहां की भाषा, यहां का अक्खडपन, ये सब सिनेमा से अभी दूर है । इसको संजोने और सजाने की जरूरत है । चंबल की खूबसूरती को सिनेमा की माध्यम से विश्व पटल पर लाया जा सकता है।
सं प्रदीप
वार्ता
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