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हवा में घुलता जहर लील रहा है जीवन के दिन

लखनऊ 31 अक्तूबर (वार्ता) उत्तर प्रदेश में पिछले दो दशकों के दौरान वायु प्रदूषण में 72 फीसदी का इजाफा हुआ है जिसके दुष्प्रभाव से लोगों की उम्र 11 साल तक कम हुयी है।
अमेरिका में शिकागो यूनीवर्सिटी की शोध संस्था एनर्जी पालिसी इंस्टीट्यूट एट द यूनीवर्सिटी आफ शिकागो (एपिक) की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण के चलते लोगों की ‘जीवन प्रत्याशा’ यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी में औसतन 8.6 वर्ष की कमी आयी है।
‘वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक’ (एक्यूएलआई) के आंकड़ों के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के दिशा निर्देशो को हासिल कर लिया होता लखनऊ के लोग साढ़े नौ साल ज्यादा जी सकते थे। डब्लूएचओ ने वायुमंडल में प्रदूषित सूक्ष्म तत्वों एवं धूलकणों की सघनता 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को आदर्श माना है। वर्ष 1998 में इसी वायु गुणवत्ता मानक को पूरा करने से जीवन प्रत्याशा में पांच साल की बढ़ोतरी होती।
उत्तर प्रदेश के अन्य जिले और शहर के लोगों का जीवनकाल घट रहा है और वे बीमार जीवन जी रहे हैं। डब्लूएचओ के मानकों का अनुपालन किया जाता तो हापुड़ में लोगों जीवनकाल 11 साल बढता। इसी तरह बुलंदशहर में 11़ 1 वर्ष, गाजियाबाद में 10़ 7 वर्ष, गौतमबुद्ध नगर में 10़ 6 वर्ष,संभल और अलीगढ़ में 10़ 5 वर्ष की वृद्धि होती, अगर लोग स्वच्छ और सुरक्षित हवा में सांस लेते।
एक्यूएलआई के अनुसार उत्तर भारत में गंगा के मैदानी इलाके में रह रहे लोगों की जीवन प्रत्याशा करीब सात वर्ष कम होने की आशंका है, क्योंकि इन इलाकों के वायुमंडल में ‘प्रदूषित सूक्ष्म तत्वों और धूलकणों से होने वाला वायु प्रदूषण’ यानी पार्टिकुलेट पॉल्यूशन विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय दिशा निर्देशों को हासिल करने में विफल रहा है। इसका कारण है कि वर्ष 1998 से 2016 में गंगा के मैदानी इलाके में वायु प्रदूषण 72 प्रतिशत बढ़ गया, जहां भारत की 40 प्रतिशत से अधिक आबादी रहती है। वर्ष 1998 में लोगों के जीवन पर वायु प्रदूषण का प्रभाव आज के मुकाबले आधा होता और उस समय लोगों की जीवन प्रत्याशा में 3.7 वर्ष की कमी हुई होती।
शिकागो विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के मिल्टन फ्राइडमैन प्रतिष्ठित सेवा प्रोफेसर और एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ माइकल ग्रीनस्टोन के अनुसार अगर भारत अपने ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम’ के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रहा और वायु प्रदूषण स्तर में करीब 25 प्रतिशत की कमी को बरकरार रखने में कामयाब रहा, तो आम भारतीयों की जीवन प्रत्याशा औसतन 1.3 वर्ष बढ़ जाएगी वहीं उत्तरी भारत के गंगा के मैदानी इलाकों में निवास कर रहे लोगों को अपने जीवनकाल में करीब दो वर्ष के समय का फायदा होगा।
प्रदीप
वार्ता
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