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अयोध्या में चौदह कोसी परिक्रमा कड़ी सुरक्षा के बीच कल होगी शुरू

अयोध्या, 04 नवम्बर (वार्ता) मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में कल मंलवार सुबह से चौदह कोसी परिक्रमा शुरू हो रही है और इसके लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये हैं।
चौबीस घंटे चलने वाली यह चौदह कोसी परिक्रमा पांच नवम्बर को सुबह छह बजकर पांच मिनट से शुरू होगी। जो छह नवम्बर सुबह सात बजकर उन्चास मिनट पर समाप्त होगी। मान्यताओं के मुताबिक बड़ी परिक्रमा अर्थात् चौदह कोसी परिक्रमा का सीधा सम्बन्ध मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास से है।
किवदंतियों के अनुसार श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास से अपने को जोड़ते हुए अयोध्यावासी हर साल एक कोसी परिक्रमा कर चौदह वर्ष के लिये चौदह कोस परिक्रमा पूरी की। इसके आधार पर यह परम्परा बन गयी। इस परम्परा का निर्वाहन करते हुए आज भी कार्तिक की अमावस्या अर्थात् दीपावली के नवें दिन दूरदराज से लाखों श्रद्धालु यहां आकर चौदह कोस के एक निर्धारित मार्ग पर अयोध्या व फैजाबाद नगर के चारों तरफ नंगे पांव पैदल चलकर अपनी-अपनी परिक्रमा पूरी करते हैं।
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन शुरू होने वाले इस परिक्रमा के लिये श्रद्धालु ग्रामीण अंचलों से एक दिन पहले ही यहां आ जाते हैं और परिक्रमा के दिन परिक्रमा शुरु करते हैं। जिस स्थान से परिक्रमा शुरु होती हैं उसी स्थान पर समाप्त भी करते हैं। परिक्रमा के शुरु करने के पहले श्रद्धालु सरयू नदी में स्नान करते हैं। ज्यादातर लोग लगातार पैदल चलकर अपनी परिक्रमा पूरी करना चाहते हैं फिर भी लम्बी दूरी की परिक्रमा के कारण श्रद्धालुओं के विश्राम के लिये प्रशासन तथा स्वयंसेवी संस्थाओं ने जगह-जगह विश्रामालय, प्राथमिक चिकित्सा, जलपान के प्रबंध किये रहते हैं।
इस परिक्रमा में ज्यादा श्रद्धालु ग्रामीण अंचलों से आते हैं। अपने परिजन साथियों के साथ विभिन्न मंदिरों में आकर शरण लेते हैं। परिक्रमा में ज्यादातर लोग चलकर ही अपनी परिक्रमा पूरा करना चाहते हैं। क्योंकि रुक जाने पर मांसपेशियों में खिंचाव आ जाने से थकान का अनुभव जल्दी होने लगता है। यद्यपि श्रद्धालुओं में ना रुकने की चाह रहती है फिर भी लम्बी दूरी की वजह से रुकना तो पड़ता ही है।
विश्राम के लिये रुकने वालों में ज्यादातर वृद्ध या अधिक उम्र के लोग रहते हैं। इनके विश्राम नि:शुल्क प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र व जलपान गृहों का इंतजाम रहता है। चौदह कोसी परिक्रमा श्रद्धालु छह सात घंटे में पूरी कर लेते हैं। परिक्रमा मेले की व्यापक तैयारियां की गयी हैं।
सं त्यागी
जारी वार्ता
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