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उत्तर प्रदेश-किसान पराली दो अंतिम लखनऊ

कृषि मंत्री ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मुख्य सचिव स्तर पर एक मानीटरिंग सेल का भी गठन किया गया है, जहां सभी जिलाें से इस सम्बन्ध में प्रतिदिन की कृत कार्रवाई की रिपोर्ट प्राप्त की जाती है। उन्होंने बताया कि सभी जिलाधिकारियों को भी निर्देश जारी किये गये हैं कि जनपद स्तर पर भी एक सेल का गठन किया जाय, जिसमें सभी विभागों के अधिकारी शामिल होंगे।
श्री शाही ने बताया कि प्रत्येक राजस्व ग्राम या राजस्व क्लस्टर के लिये एक नोडल अधिकारी नामित किया गया है तथा पराली जलाने की घटना प्रकाश में आने पर उस गांव के लिये नामित कर्मचारी को जिम्मेदार ठहराते हुये उसके विरूद्ध कार्रवाई किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त किसानों के मध्य पराली न जलाने को लेकर जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने किसान पाठशालाओं के माध्यम से व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये हैं। उन्होंने कहा कि अब तक किसान पाठशाला में 40 लाख से अधिक किसानों को प्रशिक्षित किया गया। अभी 21 अक्टूबर से 25 अक्टूबर, 2019 के मध्य 5वां माड्यूल चलाया गया, जिसमें 7701 ग्रामों के लगभग 5.50 लाख किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार द्वारा संचालित एक अनूठा कार्यक्रम-‘‘किसानों की बात वैज्ञानिकों के साथ’’ विषयक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी किसानों को कृषि की नवीन तकनीकों के साथ-साथ फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान की गयी। इस कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को बताया गया कि पराली जलाने से जहां एक ओर पर्यावरण को नुकसान होता है, वहीं दूसरी ओर भूमि के पोषक तत्वों में कमी आती है और मृदा के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
त्यागी
वार्ता
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