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लोकरूचि देव दीपावली मथुरा तीन अंतिम मथुरा

देव दीपावली के संबंध में एक अन्य प्रसंग देते हुए ब्रज के महान संत बलरामदास बाबा ने बताया कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का बध करके देवताओं को स्वर्ग लोक वापस दिला दिया था। इस पर तारकासुर का बध करने का बदला उसके तीन पुत्रों ने लिया और और उन्होंने ब्रह्मा जी की तपस्या करके उन्हें प्रसन्न कर लिया और उनसे तीन नगर मांगे तथा यह कहा कि जब यह तीनों नगर अभिजीत नक्षत्र में एक साथ आ जाएं तब असंभव रथ, असंभव बाण से बिना क्रेाध किये हुए कोई व्यक्ति ही उनका कोई व्यक्ति उनका बध कर पाएगा।
उन्होंने बताया कि इस वरदान को पाकर राक्षस त्रिपुरासुर खुद को अमर समझने लगा और देवताओं को परेशान करने लगा तथा उन्हें स्वर्ग लोक से बाहर निकाल दिया। सभी देवता त्रिपुरासुर से परेशान होकर बचने के लिए भगवान शिव की शरण में पहुंचे। देवताओं का कष्ट दूर करने के लिए भगवान शिव स्वयं त्रिपुरासुर का बध करने पहुंचे और उसका अंत कर दिया। भगवान शिव ने जिस दिन त्रिपुरासुर का बध किया उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा थी। देवताओं ने त्रिपुरासुर के बध से खुशी जाहिर करते हुए शिव की नगरी में दीपदान किया था तथा तभी से काशी में देव दीपावली मनाई जाती है।
मथुरा में देव दीपावली इस बार 12 नवम्बर को शाम पांच बजे से मनाई जाएगी। तीर्थ पुरोहित महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रयागनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि चेउच्ष्सय कर की साधनास्थली श्रीकृष्ण गंगा घाट से ध्रुव घाट तक हजारों की संख्या में दीप प्रज्वलित किये जाएंगे तथा उस समय मथुरा में मौजूद 33 करोड़ देवताओं से यमुना को प्रद्दूषण से मुक्ति दिलाने एवं राष्ट्र कल्याण की प्रार्थना की जाएगी। इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्ग के लोग भाग लेकर आपसी सौहार्द्र को एक बार पुनः मजबूत करते हैं।ऐसे अवसर पर यमुना तट पर जो लोग दीपदान करते हैं उन्हें देव आशीर्वाद मिलता है इसलिए पिछले कुछ वर्षों से इसमें भाग लेने के लिए तीर्थयात्री भी आने लगे हैं तथा उनकी संख्या हर साल बढ़ रही है।
सं प्रदीप
वार्ता
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