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लोकरूचि देव दीपावली मथुरा दो मथुरा

इस संबंध में देव दीपावली महोत्सव समिति के अध्यक्ष पं0 सोहनलाल शर्मा एडवोकेट ने बताया कि एक बार वृद्ध नन्दबाबा और यशोदा मां ने कन्हैया से तीर्थाटन करने की इच्छा व्यक्त की। कन्हैया ने सोचा कि उनके माता पिता वृद्ध हो गए हैं और तीर्थाटन करने में उन्हें परेशानी होगी इसलिए उन्होंने सभी तीर्थों को ब्रज में ही प्रकट कर अपने माता पिता को तीर्थाटन करा दिया।
अपने माता पिता को तीर्थाटन कराने के बाद कन्हैया ने लीला की और तीर्थप्रयागराज को तीर्थों का राजा बनाकर कर वे उससे यह कहकर लीला करने चले गए कि उनकी गैरहाजिरी में वह तीर्थों को नियंत्रित करेगा। कुछ समय बाद जब वे वापस आए और उन्होंने प्रयागराज से तीर्थों के बारे में रिपोर्ट ली तो प्रयागराज ने कहा कि जहां सभी तीर्थों ने उनका कहना माना है वहीं मथुरा तीर्थ ने उनका कहना नही माना है। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने प्रयागराज से कहा कि उन्होंने उसे तीर्थों का राजा बनाया था पर अपने घर का राजा नही बनाया है। इस पर प्रयागराज को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से प्रायश्चित के रूप में आदेश देने का अनुरोध दिया। तब श्रीकृष्ण ने प्रयागराज से कहा कि चातुर्मास भर वह सभी तीर्थों के साथ ब्रज में रहेगा।
उन्होंने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा को चार माह पूरे होने पर जब देव अपने अपने स्थान जाते हैं तो उसकी खुशी में विश्राम घाट पर वे दीपदान करते है तथा ब्रजवासी देवताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए इसी प्रकार की कृपा भविष्य में भी बनाए रहने का अनुरोध करते हैं तथा कृतज्ञतापूर्वक दीपावली मनाते हैं।
सं प्रदीप
जारी वार्ता
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