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उप्र में सिंचाई पाठशालाओं व जल उपभोक्ता समितियों के प्रयासो से बढ़ा कृषि उत्पादन

लखनऊ, 14 नवम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश में संचालित सिंचाई पाठशालाओं एवं जल उपभोक्ता समितियों के प्रयासों से कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई।
विश्व बैंक पोशित परियोजना (यूपीडब्ल्यू एसआरपी) के तहत परियोजना जिलो में घटक ‘डी’ कृषि विभाग एवं विश्व खाद्य संगठन (एफएफओ) के सहयोग से कुलाबास्तर पर स्थापित 2982 किसान सिंचाई विद्यालय एवं निर्वाचित 29747 जल उपभोक्ता समितियों के योगदान से परियोजना जिलों में कम जल से अधिक फसल उत्पादन करने की उन्नत तकनीकी पर आधारित फसल प्रदर्शनों के परिणामों ने यह सिद्ध किया है। इससे कृषि उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
इन प्रदर्शनों के परिणामों की उत्साह जनक जानकारी देते हुए पैक्ट विभाग के मुख्य अभियन्ता ए के सेंगर ने बताया कि परियोजना के प्रारम्भ में परियोजना के क्षेत्रों में गेंहू, धान और दलहनी फसलों का उत्पादन क्रमषः 25, 19, 06 कुतंल प्रति हेक्टेयर था। वर्ष 2019 की क्रापकटिंग के अनुसार यह उत्पादन बढ़कर गेंहू, धान और दलहनी फसलों का क्रमषः 46.43, 34.82, 7.35 कुतंल प्रति हेक्टेयर हो गया है जो अपने आप में सराहनीय कीर्तमान है।
मुख्य अभियन्ता के अनुसार कुलाबास्तर पर संचालित सिंचाई जल विद्यालय (पाठशाला) जिनके प्रबंधन में जल उपभोक्ता समितियों के पदाधिकारी नामित होते है। इनके सयुक्त प्रयासों से वैज्ञानिक प्रशिक्षण के साथ किसानों के खेतों में फसल प्रदर्शन आयोजित किये जाते है। इन प्रदर्शनों के परिणामों को आकने के लिए कृषि विभाग द्वारा जिलों में कमेटियों का गठन किया गया था। जिसके अनुश्रवण के लिए पैक्ट विशेषज्ञों का एक दल पैक्ट अध्यक्ष द्वारा नामित कर क्षेत्रों में भेजा गया था। इनमें राजेश शुक्ला, अधिशासी अभियन्ता (पिम मामलों केविशेषज्ञ), पी के सत्संगी, अधिशासी अभियन्ता/विशेषज्ञ, एस पी शुक्ला, कृषि अर्थशास्त्र विशेषज्ञ, उदय प्रताप सिंह समाज शास्त्र विशेषज्ञ आदि अधिकारियों द्वारा समय-समय पर अनुश्रवण किया गया।
श्री सेंगर ने यह भी बताया कि इसी प्रकार फसल सघनता में भी काफी प्रगति हुई है। परियोजना प्रारम्भ में यह 153 प्रतिशत थी जो बढ़कर अब 222 प्रतिशत हो गयी है।
त्यागी
वार्ता
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