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छावनी रामघाट के महंत परमहंस दास निष्कासित

अयोध्या, 16 नवम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास पर अमर्यादित टिप्पणी करने वाले तपस्वी छावनी रामघाट के महंत परमहंस रामदास को निष्कासित कर दिया गया है।
छावनी रामघाट के महंत सर्वेश्वर दास ने शनिवार को यहां पत्रकारों को बताया कि तपस्वी छावनी मंदिर रामघाट के महंत परमहंस दास का वास्तविक नाम उदयनारायण दास है। वह खुद को फर्जी रूप से मंदिर का महंत घोषित करता था। श्रीरामजन्मभूमि न्यास के महंत नृत्यगोपालदास पर अमर्यादित टिप्पणी एवं अनर्गल आरोप लगाने के कारण तपस्वी छावनी मंदिर रामघाट से उन्हे निष्कासित किया जाता है। उन्होंने बताया कि वे परमहंस रामदास को कभी भी लिखित रूप से महंत नहीं बनाया गया और ना ही इसकी घोषणा की गयी थी।
श्री दास ने कहा “ परमहंस को सिर्फ उस स्थान पर सेवा करने का कार्य सौंपा गया था जिसको ना निभाकर वह फर्जी रूप से जगद्गुरू बनने का नाटक करता रहा। उसके र्दुव्यवहार से मैं अत्यन्त दुखी हूं। यह व्यक्ति अयोध्या के ऐतिहासिक सनातन परम्परा के गौरव को नष्ट कर रहा था। इसके द्वारा श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष व मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास पर अमर्यादित टिप्पणी अनर्गल आरोप लगाया जा रहा है जो सरासर गलत है। मैं परमहंस का बहिष्कार करता हूँ साथ ही रामनगरी के सभी साधु-संत इसका बहिष्कार करें। इसे किसी भी प्रकार का कोई संरक्षण न दें। ”
गौरतलब है कि हाल ही में एक न्यूज चैनल के टीवी डिबेट में परमहंस ने महंत नृत्यगोपाल दास के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया था जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गया था। न्यास अध्यक्ष पर अपशब्दों के प्रयोग से उनके आश्रम के समर्थक साधु-संतों में जबर्दस्त रोष था। उनके प्रतिशोध में विगत चौदह नवम्बर को परमहंस दास का आवास घेर लिया था और वहां पर खिड़कियों में तोडफ़ोड़ के बाद कई घंटे जबर्दस्त बवाल किया था। उस समय तपस्वी छावनी परिसर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था।
स्थानीय प्रशासन ने किसी तरह से परमहंस को उनके मंदिर में सुरक्षित निकालकर अन्य स्थान पर पहुंचाया था। परमहंस दास रामजन्मभूमि पर श्रीराम का भव्य मंदिर निर्माण के लिये बारह दिनों तक आमरण अनशन व आत्मदाह की घोषणा कर सुर्खियों में आये थे। इसके अलावा वह राम मंदिर के लिये कई दिनों तक जेल में बंद रहे। जिला प्रशासन ने उनके ऊपर रासुका भी लगाया था।
सं प्रदीप
वार्ता
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