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माघ मेला तैयारी में बाधा बनी रही दलदल

प्रयागराज, 23 नवंबर (वार्ता) तीर्थराज प्रयाग में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर 43 दिनों तक चलने वाले माघ मेला में सबसे बड़ी बाधा बाढ़ के कारण दलदली जमीन है । पानी देर से उतरने के कारण कई स्थानों पर अभी भी दल-दल जैसी स्थिति बनी है।
माघ मेला अधिकारी रजनीश कुमार ने बताया कि बाढ़ के कारण इस साल मेले की तैयारी देर से शुरू हुई है । बाढ़ के कारण कई स्थानों पर पानी से दलदल जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है। पहले से करीब 85 से 90 प्रतिशत स्थिति बेहतर हो चुकी है और मेले की तैयारी तेजी से चल रही है।
कई विभागों ने अपना कार्य शुरू कर दिया है। मेला प्रशासन द्वारासमतलीकरण का काम सेक्टर एक और दो में करा दिया गया है।उन्होंने कहा कि लोकनिर्माण विभाग की तरफ से सडक और पंटून पुल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। मेले में श्रद्धालुओं के आवगमन के लिए पांच पंटून पुल बनाए जायेंगे। इसी प्रकार विद्युत विभाग,सिंचाई विभाग, जल निगम की ओर से काम शुरू करा दिया गया है। त्रिवेणी किनारे सुबह-शाम आस्था का संगम देखने का मिल रहा है। संगम तट माघ मेले की तैयारियों को लेकर गुलजार है।
मेला क्षेत्र को रोशन करने के लिए करीब 18 हजार एलईडी का इस्तेमाल होगा। इसके अलावा संगम और आसपास 14 स्नान घाट बनाए जा रहे हैं। मेला को पांच सेक्टरों में विभाजित कर बसाया जा रहा है। वर्ष 2018 में माघ मेला1797 बीघा में बसाया गया था जबकि 2020 में और 10 प्रतिशत क्षेत्रफल बढ़ा है । जिला प्रशासन संगम तट पर कल्पवासियों, साधु-संन्यासियों और श्रद्धालुओं के लिए रेत पर तुबंओं का एक सुन्दर नगर तैयार करता है जिसमें खान-पान, पानी, अस्पताल आदि की व्यवस्था रहती है ।
सांस्कृतिक मेले में पारंपरिक हस्त शिल्प, भोजन और दैनिक उपयोग की पारंपरिक वस्तुओं की बिक्री भी की जाती है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि माघ मेला में दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम अतिरिक्त 1500 बसों को चलाने की तैयारी में हैं। इसके साथ ही रेलवे ने प्रमुख स्नान पर्व पर कुल 160 विशेष रेल गाडियों को चलाने का निर्णय लिया है। प्रयागराज पर्यटन विभाग के उपनिदेशक दिनेश कुमार ने कहा कि भव्य कुंभ मेले की शानदार सफलता के बाद अब पर्यटन विभाग माघ मेले में भी पर्यटकों को आकर्षित करने की तैयारी में जुटा है। मेले में टेंट सिटी और रोप-वे भी बनाने का भी प्रस्ताव है।
पर्यटन विभाग ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण को पत्र लिखकर जमीन की मांग की है। मेला क्षेत्र में जमीन मिलने के बाद वहां ऐसे निर्माण कराए जायेंगे जिससे यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहे। कुंभ मेला के दौरान पर्यटन विभाग की ओर से तमाम आयोजन कराए गए थे। कुंभ के दौरान अरैल क्षेत्र में बसाई गई टेंट सिटी,सांस्कृतिक ग्राम का खूब सराहा गया था ।
माघ मेला 10 जनवरी 2020 पौष पूर्णिमा से शुरू होकर 21 फरवरी महाशिवरात्रि पर समाप्त होगा। इस दौरान छह स्नान पर्वों पर आस-पास के अलावा दूर दराज से लाखों श्रद्धालु पतित पावनी गंगा,श्यामल यमुना और अदृश्य रूप से कल-कल कर बहने वाली सरस्वती के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाकर अपने को धन्य मानते हैं।
दिनेश विनोद
वार्ता
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