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गैर चिंहित बालश्रमिकों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना हमारी प्राथमिकता:प्रीती वर्मा

झांसी 23 नवंबर (वार्ता) उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डाॅ़ प्रीती वर्मा ने सरकार और आयोग की प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए कहा है कि गैर चिंहित बालश्रमिकों को चिंहित कर शिक्षा और सरकारी की अन्य योजनाओं का लाभ देकर समाज की मुख्यधारा में जोड़ना आवश्यक है।
यहां सर्किट हाउस में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में आयोग की सदस्य ने कहा कि समाज में ऐसे कई बच्चे हैं जो शिक्षा के अभाव में या मजबूरीवश बालश्रम करने में लगे हैं और बड़ी संख्या में बच्चों का चिंहांकन भी नहीं है। हमारे आयोग का प्रयास है कि ऐसे गैर चिंहित बालश्रमिकों को चिंहित कर उन्हें शिक्षा और उनके हितार्थ बनी सरकारी योजनाओं को लाभ मुहैया कराकर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोडा जाए। इसी क्रम में हम लोग सभी जिलों में जाकर वहां कौशल विकास, श्रम विभाग, नगर निगम के सभासदों , व्यापार मंडल के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों के साथ समन्यव बैठक कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि आज झांसी में इन सभी अधिकारियों के साथ बैठक की गयी जिसका उद्देश्य था कि अधिकारियों और व्यापारी मंडल के लोगों को भी नये श्रम कानूनों के बारे में जागरूक किया जाए । श्रम अधिकारी ने बैठक में उपस्थित सभी लोगों को बालश्रम कानून में 2016 में किये गये नये बदलावों के बारे में जानकारी दी गयी। नये श्रम कानूनों के तहत बच्चों के अभिभावकों को भी बालश्रम के लिए दोषी माना गया है लेकिन इसके लिए दंड से अधिक बच्चों के परिवार के लोगों को कौशल विकास से जुड़ी योजनाओं का लाभ देकर उनको आर्थिक उन्नति की ओर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है।
श्रम उपायुक्त नदीम अहमद ने बताया कि नये नियमों के तहत 14 साल तक के बच्चे का किसी तरह से श्रम में शामिल होना पूरी तरह से प्रतिबंधित है लेकिन 14 से 18 साल के बच्चे गैर खतरनाक जगहों पर कुछ प्रतिबंधों के साथ काम कर सकते हैं जैसे उनसे छह घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाए, उनके स्कूल के समय में काम नहीं लिया जाएऔर छह घंटे के बीच भी उन्हें एक घंटे का आराम का समय दिया जाए। इसके अलावा खतरनाक जगहों जैसे रसायन और विस्फोटक आदि में इस उम्र के बच्चों के काम करने पर अब भी पूरी तरह से प्रतिबंध है।
सुश्री वर्मा ने बताया कि झांसी के व्यापार मंडल के अध्यक्ष और उनकी कोर कमिटी के लोगों ने अपने अपने मार्किट को बालश्रम मुक्त बनाने और अध्यक्ष ने पूरे झांसी को बालश्रम मुक्त बनाने का आश्वासन दिया है। बैठक में मौजूद सभासदों से भी अपने अपने वार्ड मे गैर चिंहित बच्चों का चिंहांकन करने के साथ ही ऐसे बच्चों का आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र बनाने को कहा गया जिससे कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
बच्चों को पेाषण, शिक्षा और सुरक्षा से जोड़ने का यह काम जनसहभागिता के बिना संभव नहीं हैं इसी कारण सभी जिलों में व्यापार मंडल आदि से बातचीत कर उनका सहयोग मांगा जा रहा है। मुख्यमंत्री बच्चों को लेकर बेहद संवेदनशील हैं और उन्होंने 11 जुलाई को जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखकर बालश्रम के खात्मे के लिए सहयोग की अपील की है। राज्य बालश्रम आयोग का गठन 2015 में किया गया और इसके बाद से हम लगातार बालश्रम के कारणों और इसके खात्मे के लिए काम कर रहे हैं। हर मंडल में जाकर हमने काम किया और इसके बाद हर जिले में बालश्रमिकों से जुड़ी जानकारी और बालगृहों की स्थिति के बारे में मुख्यमंत्री को जानकारी दी गयी है। इस क्रम में आंकडे काफी एकत्र किये जा रहे हैं और काफी एकत्र किये जा चुके हैं , केंद्र सरकार से बजट भी जारी कर दिया गया है। इस मामले में आयोग ने एक साल में काफी काम किया है।
उन्होंने बताया कि पहले पांच जिलो लखनऊ ,कानपुर, प्रयागराज, मुजफ्फरनगर और बनारस को पायलय प्रोजेक्ट के रूप में लिया गया है। विभिन्न विभागों के साथ समन्वय से सड़कों पर घूमने वाले बच्चों की उनके अभिभावकों के आधार कार्ड या किसी निकट संबंधी के आधारकार्ड के आधार पर पहचान सुनिश्चित करायी जा रही है ताकि ऐसे बच्चों को शिक्षा और दूसरी सरकारी येाजनाओं का लाभ दिया जा सके। उन्होंने कहा कि तथाकथित सभ्य समाज के बच्चों के अलावा सड़कों पर घूमने वाले गैर चिंहित इन बच्चों को भी देश के विकास में सहभागी बनाने के लिए आयोग लगातार काम कर रहा है।
सोनिया
वार्ता
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