राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Nov 23 2019 7:00PM गीता के रहस्य को जन जन तक पहुंचाया गीतानंद नेमथुरा, 23 नवम्बर (वार्ता) वृन्दावन की पावन धरती से सम्पूर्ण विश्व को प्रकाश देने वाले संतों की श्रंखला में बीसवीं शती में इस भूमि में एक ऐसा संत आया जिसने न केवल गीता के रहस्य हो जन जन तक पहुंचाया बल्कि उसके प्रत्येक कार्य में वसुधैव कुटुम्बकम की भावना परिलक्षित होती थी। अनूपयति गीता आश्रम वृन्दावन के महंत महामंडलेश्वर स्वामी डा अवशेषानन्द ने बताया कि इस ब्रम्हलीन संत के 15वें निकुंज उत्सव में अनूपयति गीता आश्रम में एक कार्यक्रम 24 नवम्बर को मनाया जा रहा है जिसमें देश के जाने माने संत, विद्वान, हाईकोर्ट के जस्टिस, समाजसेवी, शिक्षाविद भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर भगवत सेवा में लीन साधुओं को जहां ऊनी वस्त्रों एवं कंबल आदि का वितरण किया जाएगा वहीं साधनविहीन लोगों को भी यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। वृन्दावन की पावन धरती पर चैतन्य महाप्रभु, बल्लभाचार्य, रूप गोस्वामी, जीव गोस्वामी, गोपाल भट्ट, जैसे संतों ने यदि धर्म की ध्वजा फहराई और श्यामाश्याम की लीलाओं के गूढ़ रहस्य को समाज के कोने कोने तक पहुंचाया तो बीसवीं शती में देवरहा बाबा, श्रीपाद बाबा, आनन्दमयी मां,स्वामी अखण्डानन्द, स्वामी वामदेव, नीम करौली बाबा, जैसे संतों ने सनातन धर्म पर आए संकट से समाज को निकालकर एक दिशा दी। स्वामी गीतानन्द महराज ने इससे अलग हटकर गीता के रहस्य को मानवजीवन में उतारने का रहस्य इस प्रकार प्रस्तुत किया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मुख से सहज ही निकल पड़ा कि यदि इसी भावना को अन्य संत लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करें तो भारत अपने पुराने गौरव को प्राप्त कर सकता है।सं प्रदीपजारी वार्ता