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उत्तर प्रदेश-किरन बेदी चार अंतिम लखनऊ

इस मौके पर पीएन रामाकृष्णन, एडी एण्ड साइंटिस्ट-सी, डीएफएसएस हैदराबाद द्वारा ड्रोन(मानवविहीन एरियल वाहन) के संबंध में विस्तृत जानकारी दी । उनके द्वारा बताया गया कि ड्रोन डाटा रिकवरी के लिये महत्वपूर्ण हो सकता है। कंट्रोल यूनिट द्वारा जमीन से इसे कंट्रोल किया जाता है एवं इसके माध्यम से जमीन पर चल रही गतिविधियों पर आकाश से नजर रखी जाती है। यह कानून व्यवस्था में सहायक है । इसके माध्यम भीड़भाड़ की वीडियोग्राफी/फोटोग्राफी, डिजिटल मैपिंग एवं राजस्व विभाग द्वारा सर्वे का कार्य भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि आगे आने वाले समय ड्रोन बहुआयामी होगा जो कि पुलिस विभाग को और अधिक विस्तृत करने में सहायक होगा।
डा0 श्वेता शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, रक्षाशक्ति यूनीवर्सिटी, गुजरात ने वाइट्रोलेज विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि यह एक नये तरह का अपराध है। एसिड अटैक से एक पीड़िता की जिन्दगी तबाह होने के साथ उसकी सुन्दरता एवं जिन्दगी का अस्तित्व भी खत्म होने लगता है। चूॅकि एसिड आसानी एवं सस्ते में उपलब्ध हो जाता है अतः इस अपराध को करना अन्य अपराधों की तुलना में आसान हो जाता है एवं आरोपी जल्द ही बाहर भी आ जाते हैं। आज जरूरत है कि एसिड अटैक जैसे जघन्य अपराधों पर और अधिक ध्यान दिया जाये जिससे समाज की धारणा को भी बदला जा सके।
डा0 शर्मा द्वारा एसिड अटैक के विभिन्न तरीकों के संबंध में भी चर्चा करते हुए बताया गया कि पुलिस द्वारा विवेचना में किन किन साक्ष्यों को सम्मिलित किया जाये। उनके द्वारा उन कारणों की भी चर्चा की गयी जिसमें महिलाएं एसिड अटैक शिकार हो जाती हैं यथा- शादी के लिये मना करना, गृह क्लेश, शादी संबंधी विषय, बदले की भावना आदि। उन्होंने कहा कि समाज के लोगों का नजारिया पीड़िता के लिये सकारात्मक होना चाहिए। दुकानदार जो एसिड बेच रहे हैं उनके द्वारा एसिड बेचते समय एसिड बेचने वाले व्यक्ति की पहचान रखनी चाहिए तथा किस कारण एसिड लिया जा रहा है तथा कितनी मात्रा में लिया जा रहा है इसका लेखा जोखा रखना चाहिए। वास्तनिक लाइसेंस धारकों द्वारा एसिड को कैसे सुरक्षित रखा जाये आदि बिन्दुओं पर दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए।
श्रीमती स्वाती लाखरा आईपीएस आई0जी0पी0 वुमेन सेफ्टी तेलंगाना द्वारा अपनी परिचर्चा में कहा गया कि कभी भी पुलिस विभाग आईसोलेशन में रहकर महिलाओं की सुरक्षा कर सकता। इसके लिये सम्बन्धित सभी संस्थाओं को एक साथ मिलकर कार्य करना होगा तभी हम महिलाओं को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने तेलंगाना पुलिस द्वारा 2014 में प्रारम्भ की गयी शी टीम के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि शी टीम की मदद से महिलाओं एवं बच्चियों के प्रति होने वाले यौन उत्पीड़न की घटनाओं में मदद प्राप्त होती है।
उन्होंने भरोसा सेन्टर, फैमिली काउंटर सिस्टम, चाइल्ड फैमिली कोर्ट के बारे में भी चर्चा की। शी टीम मुख्यतः निम्न प्रकार से यथा-छेड़खानी को रोकना, उन अपराधियों को पकड़ना हो फोन से काल कर/ईमेल कर या सोशल मीडिया के माध्यम से परेशान करते हैं, महिलाओं को तत्काल सहायता प्रदान, महिलाओं सुरक्षित सफर, भटके हुए युवा वर्गों को सही राह पर लाना, लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाना आदि पर कार्य करती है। टेक्नाॅलाजी के प्रयोग के संबंध में अवगत कराया गया कि हाॅकआई, सीसीटीवी कैमरा, काॅल डेटा एनाॅलिसिस टूल्स, शी टीम/भरोसा सेन्टर के लिये साफ्टवेयर, दर्पण आदि का प्रयोग इसकी रोकथाम के लिये आवश्यक है। काउसलिंग सेन्टर में परिवारिकजनों के साथ साथ एक्सपर्ट, मनोवैज्ञानिक आदि का भी सहयोग लिया जाये।
त्यागी
वार्ता
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