राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jan 4 2020 2:26PM गंगा कटान के नियंत्रण पर सिंचाई विभाग को निर्देशप्रयाराज,04 जनवरी (वार्ता) तीर्थराज प्रयाग के माघ मेला क्षेत्र में गंगा के कटान पर नियंत्रण के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए गये हैं।आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि माघ मेला अधिकारी रजनीश कुमार मिश्रा ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को कड़े निर्देश के साथ सचेत किया कि गंगा के कटान पर नियंत्रण नहीं हुआ तब उनके खिलाफ अब कार्रवाई भी होगी। श्री मिश्र शुक्रवार को कटान वाले क्षेत्र का मुआयना किया और प्रशासनिक तथा मेला एवं सिचांई विभाग के अघिकारियों के साथ बैठक की। सूत्रों ने कहा कि श्री मिश्र ने संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए बनाए जा रहे स्नान घाटों का निरीक्षण के साथ इसके सौन्दर्यीकरण पर भी जोर दिया। उन्होने जमीन आवंटन और सुविधा पर्ची वितरित किये जाने के कार्यों को शीघ पूरा करने के निर्देश भी दिए। सिंचाई विभाग के अधिकारियों को 24 घंटे संगम क्षेत्र में निगरानी के निर्देश दिए गये हैं। गौरतलब है कि गंगा यात्रा के मद्देनजर गंगा में हजारों क्यूसेक पानी छोड़े जाने से संगम क्षेत्र में पिछले कई दिनों से कटान हो रहा है । कटान पर काबू पाने के लिए सिंचाई विभाग की ओर से निगरानी बढ़ा दी गयी है। कटान के कारण अखिल भारतीय दंडी सन्यासी प्रबंध समिति के पांस संस्थाओं को मिली जमीन समेत कई अन्य संस्थाओं की भी जमीन कटान की चपेट में आ गयी है जिन्हे अन्यत्र भूमि आवंटित की जा रही है । प्रयागवाल सभा के महामंत्री राजेन्द्र पालीवाल ने बताया कि कटान के कारण तीर्थ पुरोहितों के शिविर लगाने के लिए पुरानेी जगह के बदले अन्यत्र भूमि का आवंटन किया जा रहा है जिससे कल्पवास करने आने वाले श्रद्धालुओं को उनके तीर्थ पुरोहितों के बाडे और निशान ढ़ूढने में परेशानी का सामना करना पडेगा। पौष पूर्णिमा स्नान के साथ 10 जनवरी से मेला शुरू हो रहा है। इसी दिन से 1 माह के लिए जप, तप, स्नान, ध्यान, दान और व्रत का कल्पवास शुरू हो जाएगा। इस बार का माघ मेला कई मायनों में विशेष है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह माघ मेला अब तक का सबसे बड़ा होगा। इस बार लगभग ढाई हजार बीघे में तंबुओं की नगरी बसाई जा रही है। वर्ष 2018 के माघ मेले की अपेक्षा 40 फीसदी क्षेत्रफल इस बार बढ़ाया गया है। वैसे इस साल लगभग 2000 बीघे में मेला बसाने का लेआउट तैयार हुआ था। मगर दलदल और कटान के साथ ही ज्यादा संस्थाओं के आने के कारण क्षेत्रफल को करीब 500 बीघे बढ़ा दिया गया है। दिनेश विनोद वार्ता