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दलदली जमीन होने से होगी कल्पवासियों को परेशानी

प्रयागराज,07 जनवरी (वार्ता) माघ मेले में एक माह का कल्पवास करने आने वाले कल्पवासियों को दलदली जमीन होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
प्रयागवाल महासभा के महामंत्री राजेन्द्र पालीवाल ने मंगलवार को कहा कि इस बार लंबे समय तक बाढ़ का पानी टिके रहने के कारण अधिकांश भूमि नमी वाली है। मेला प्रशासन द्वारा आवंटित भूमि भी नमी वाली ही है। कल्पवास करने वालों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। बालू नमी वाली जमीन पर ड़ाली जा रही है, पर नमी बरकरार है।
श्री पालीवाल ने कहा कि नमी किसी भी सूरत नहीं नहीं जायेगी जबतक प्रर्याप्त मात्रा में धूूप नहीं निकलेगी। धूप कड़ी होने से गहराई तक नमी सूखने पर ऊपर नमी नहीं आती।
कल्पवास करने वाले जमीन पर ही रात्रि विश्राम करते हैं। नमी वाली भूमि होने के कारण उन्हें परेशानी का सामना
करना पड़ेगा। उन्होने बताया कि 10 जनवरी से शुरू हो रहे माघ मेले में कल्वपासियों और साधु-संतों का आना शुरू हो गया। उन्हे शिविर तैयार करना होगा। उत्तर भारत के लोग पौष पूर्णिमा से एक माह का कल्पवास करते हैं जबकि मिथिलावासी मकर संक्रांति से इसकी शुरूआत करते हैं।
तीर्थ पुरोहितों को दलदल और कीचड़ वाला क्षेत्र आवंटित किया गया था जिसका पुरोहितों ने कड़ा विरोध किया था लेकिन मेला प्रशासन के अपनी असमर्थता बताने पर सेक्टर पांच में भूमि का आवंटन कर दिया गया है । तीर्थ पुरोहितों के जमीन का आवंटन लगभग पूरा हो चुका है।
मेला प्रशासन को अब वहां पर बिजली, पानी और शौचालय जैसी सुविधाओं का प्रबंध करना है।
दिनेश विनोद
वार्ता
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