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उच्च न्यायालय ने वकीलों को जस्ट डायल आदि फर्मो के मामले में लगी रोक बढ़ाई

लखनऊ,08 जनवरी(वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ ने प्रदेश में लाॅ फर्मो एवं जस्टडायल जैसी अनेक वेवसाइटों के जरिये वकीलों को इंगेज करने पर लगी रोक के आदेश को आगे बढ़ा दिया है ।
अदालत ने सख्त हिदायत दी है कि अगले आदेशों तक यह काम नहीं किया जायेगा । न्यायालय ने कहा कि इन वेबसाइटों व फर्मो का यह कृत्य गैरकानूनी है, क्योंकि बार काउंसिल के नियम यह सब करने की इजाजत नहीं देते है । अदालत ने विपक्षी लॉ फर्मो व वेवसाइटों से जवाबी फलाफ़नाम भी तलब किया है ।
न्यायमूर्ति मुनीस्वर नाथ भंडारी व न्यायमूर्ति विकास कुँवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्तता यश भारद्वाज की ओर से दायर याचिका पर आज यह आदेश दिए ।
याचिका दायर कर कहा गया था कि कुछ लोग गैरकानूनी तरीके से लॉ फर्मो को रजिस्टर्ड कराकर वेबसाइटों के जरिये वकीलों को फोन करते है और उनको अनेक तरह के प्रलोभन देकर फर्म से जुड़ने को प्रेरित करते है । यह भी आरोप है कि वकीलों को काम दिलाने के नाम पर उनसे पैसे भी जमा कराते है और बाद में मुकदमो की खुद डीलिंग कर वकीलों से काम कराते है और कमीशन भी देते है ।
दायर याचिका में इस फर्जी व गैरकानूनी कृत्य पर तत्काल रोक लगाए जाने व इसको बंद किये जाने की मांग की थी । याची ने जस्ट डायल , वकील सर्च , डेस्क नाइन सहित 22 लॉ फर्मो को विपक्षी पक्षकार बनाया है । याची का आरोप है कि यह सभी साइड व फर्मे यह काम नहीं कर सकती । कहा कि यह कृत्य बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के विपरीत है ।
कुछ विपक्षियों की ओर से प्रति शपथ पत्र भी फाइल किया गया । अन्य शेष फर्मो का जवाब मांगते हुए अदालत ने वकीलों को इन फर्मो व साइटों द्वारा इंगेज कर व्यवसाय करने पर रोक लगा दी थी । अदालत ने कहा कि किसी हाल में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमो के विपरीत काम नही किया जा सकता है । अदालत ने सख्त हिदायत देते हुए विपक्षी फर्मो को यह सब करने से रोक लगा दी थी । मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को नियत की है ।
सं त्यागी
वार्ता
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