राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jan 14 2020 2:30PM पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में हुई थी शुरू: आचार्य गौतमप्रयागराज, 14 जनवरी (वार्ता) आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ में भले ही लोगों में पतंगबाजी का शौक कम हो गया है लेकिन मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में शुरू हुई आजतक बरकारार है। मकर संक्रांति के दिन उमंग, उत्साह और मस्ती का प्रतीक पतंग उड़ाने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा मौजूदा दौर में काफी बदलाव के बाद भी बरकरार है। इसी परंपरा की वजह से मकर संक्रांति को पतंग पर्व भी कहा जाताहै। पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरूआत कब से हुई इसका कोई ठोस आधार तो नहीं है लेकिन मान्यता है कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में शुरू हुई थी। वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के आचार्य डां0 आत्माराम गौतम ने बताया कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का वर्णन रामचरित मानस के बालकांड में मिलता है। तुलसीदास ने इसका वर्णन करते हुए लिखा है कि 'राम इक दिन चंग उड़ाई, इंद्रलोक में पहुंची जाई।' मान्यता है कि मकर संक्रांति पर जब भगवान राम ने पतंग उड़ाई थी, जो इंद्रलोक पहुंच गई थी। उस समय से लेकर आज तक पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है। सालों पुरानी यह परंपरा वर्तमान समय में भी बरकरार है।दिनेश भंडारीजारी वार्ता