राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jan 19 2020 5:18PM लोकरूचि रामानन्दाचार्य महोत्सव दो मथुराकार्यक्रम के संयोजक शंकरलाल चतुर्वेदी ने बताया कि इस कार्यक्रम के मुख्य यजमान श्री गिर्राज जी एवं श्री हनुमान जी महाराज है। जगदगुरू स्वामी रामानन्दाचार्य ने मुसलमानों के अत्याचार से हिंदुओं को उस समय मुक्ति दिलाई थी जब तैमूरलंग का शासन था। उस समय विधर्मियों का ऐसा आतंक था कि बहू बेटियों की इज्जत बचाकर रखना एक चुनौती थी। जगदगुरू रामानन्दाचार्य ने उस समय के मुसलमानों एवं उनके शासक तैमूरलंग को यह अनुभव करा दिया था कि उनके तप में किसी भी अत्याचार को रोकने की बहुत बड़ी शक्ति है। चतुर्वेदी ने बताया कि स्वामी रामानन्दाचार्य का जन्म प्रयागराज में हुआ था।उनके पिता पुण्य सदन एवं माँ सुशीला देवी तथा गुरु राघवाचार्य थे । बगदाद से आया तैमूरलंग एक ऐसा लुटेरा हुआ जिसने हिंदू धर्म संस्कृति हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथों को भी नष्ट कर दिया तथा गौ ब्राह्मणों को भी बहुत ही कष्ट दिया । उन्होंने अपने द्वादश शिष्य बनाये जिनमें रैदास, कबीरदास, धन्नजात, पदमावती, पीपा जी महाराज, सुरसुरानन्द जी महाराज आदि प्रमुख थे। तैमूरलंग का अत्याचार इतना अधिक था कि किसी भी हिंदू के विवाह में अगवानी अगर मस्जिद के पास से निकलनी होती थी तो दूल्हे को मस्जिद के पास पैदल चलना होता था। जगदगुरू रामानन्दाचार्य ने इससे निपटने के लिए अपने दक्षिणावर्ती शंख को इस प्रकार बजाया कि उसके बाद मुसलमानों को नमाज अदा करना मुश्किल हो गया। जो भी मुसलमान अजान की कोशिश करता उसकी ही जबान में लकवा मार जाता। इससे परेशान होकर सभी मुल्ला प्रतिनिधि कबीर दास के पास काशी में गए।सं प्रदीपजारी वार्ता