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मथुरा में कल वसंत पंचमी से शुरू होगी होली की धूम

मथुरा, 29 जनवरी (वार्ता)समूचे देश में भले ही शीतलहर का माहौल बना हुआ हो पर ब्रजमंडल में वसंत पंचमी से ही होली शुरू हो जाती है और यह होली के दस दिन बाद तक चलती रहती है।
ब्रज के मंदिरों में जहां वसंत पंचमी से गुलाल की होली शुरू हो जाती है वहीं देहाती क्षेत्र में साली और सलहजें वसंत से होली के बीच घर आए दामाद या मेहमान को रंग से सराबोर कर देती हैं । बाद में उसे नये वस्त्र भेंट किये जाते हैं। ब्रज की होली श्यामाश्याम की होली है । होली का नाम लेते ही बरसाना और नन्दगांव की होली जानने की उत्कंठा हर होली प्रेमी को होती है।
राधारानी की नगरी बरसाना के लाड़ली जी मंदिर में वसंत के दिन से मंदिर में होली का डाढा गाड़ दिया जाता है। यानि यह काम कल गुरूवार को गा क्योंकि वसेतपंचमी कल ही है । लाड़ली मंदिर के रिसीवर कृष्ण मुरारी गोस्वामी ने कहा कि पोथी पूजन के बाद चंदन की जगह वसंत पंचमी से गायकों को गुलाल लगाना शुरू हो जाता है। मंदिर में इस दिन का सारा भोग केशरी होता है। नन्दगांव में नन्दबाबा मंदिर के सेवायत आचार्य सुशील गोस्वामी ने कहा कि मंदिर में होली का डाढ़ा गाड़ने के बाद दस दिन तक जयदेव कृत ’’ललित लवंग लता परिसीलन कोमल मलय समीरे ’’ का गायन समाज में होता है तथा कृष्ण बलराम के कपोलों में गुलाल लगाकर फिर उसे प्रसाद स्वरूप भक्तों पर डाला जाता है। इस दिन से रसिया गायन ’’आ गई आगई रे वसंत बयार रंगाय दै केशर चून्दरी मेरे यार ’’ का गायन शुरू हो जाता है। कीर्ति मंदिर बरसाना के सचिव नितिन गुप्ता ने कहा कि मंदिर का प्रथम पाटोत्सव 30 जनवरी को होगा। यह मंदिर इतना भव्य है कि बरसाना आनेवाला हर भक्त इसकी ओर चुम्बक की तरह खिंचा चला आता है।
मथुरा के प्राचीन केशवदेव मंदिर में इस दिन ठाकुर वासंती पोषाक धारण करते हैं तथा इस दिन का सारा भोग भी केशरी होता है। मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष सोहनलाल ने कहा कि मंदिर में राजभोग दर्शन के समय वसंत से ही ठाकुर के श्रीचरणों में गुलाल अर्पित कर उसे भक्तों पर प्रसादस्वरूप डाला जाता है तथा शाम को सामूहिक भजन संध्या होती है।
मथुरा के ही स्वामीनारायण मंदिर में वसंत को फसल के आगमन के रूप में देखा जाता है । मंदिर के महंत अखिलेश्वर दास ने कहा कि वसंत के दिन मंदिर में एक कलश में सरसो, गेहूं समेत आनेवाली सभी फसलों के बाले लगाकर ठाकुर के श्रीचरणों में अर्पित कर अच्छी फसल होने की कामना करते हैं और वसंत बधाई गायन होता है।
ठाकुर के श्रंगार से लेकर भोग तक पीले ही रंग का समावेश होता है। वहीं स्वामीनारायण मंदिर अहमदाबाद में इस पर्व से फसल के अच्छे या खराब होने का अंदाजा लगाया जाता है। फसलों की बाल में आए दानेां को गिनकर बताया जाता है कि किस अनाज की फसल किस प्रकार होगी। भारत विख्यात द्वारकाधीश मंदिर में वसंत से राजभोग के समय राजाधिराज के श्रीचरणों में गुलाल अर्पित कर उसे जगमोहन में भक्तों पर डाला जाता है ।
बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी वसंत के दिन भक्तों के संग होली खेलते हैं। मंदिर के सेवायत आचार्य ज्ञानेन्द्र किशोर गोस्वामी ने कहा कि वसंत के दिन बिहारीजी महराज के कपोल में गुलाल लगाकर फिर उसे भक्तों पर उड़ाया जाता है। ठाकुर जी इस दिन जहां पीली पोशाक धारण करते हैं वहीं कमर में गुलाल का फेंटा बांधते हैं जो होली तक रोज बंधेगा। मंदिर केा पीले फूलों से इस दिन सजाया जाता है। वृन्दावन के सप्त देवालयों में प्राचीन राधा दामोदर मंदिर में वसंत के दिन जहां ठाकुर को पीली पोशाक धारण कराई जाती है वहीं केशरिया खीर का भोग लगता है।
कुल मिलाकर समूचे ब्रज मंडल में होली की बयार वसंत से ही बहने लगती है।
सं विनोद
वार्ता
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