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सारस प्राकृतिकवास सरसईनावर झील को मिले अंतर्राष्ट्रीय महत्व से पर्यावरविद उत्साहित

सारस प्राकृतिकवास सरसईनावर झील को मिले अंतर्राष्ट्रीय महत्व से पर्यावरविद उत्साहित

इटावा, 29 जनवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश के राज्य पक्षी सारस के प्राकृतिक वास सरसईनावर वेटलैंड को रामसर कन्वर्सेशन में अंतर्राष्ट्रीय महत्व दिए जाने से पर्यावरणविद खासे उत्साहित हैं ।

भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के संरक्षण अधिकारी डा0 राजीव चौहान ने आज यहां यह जानकारी दी ।

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सरसईनावर वेटलैंड को देश के रामसर साइट में शामिल कर लेने से पर्यावरणविद खासे उत्साहित हैं । उन्होंने बताया कि इटावा के पडोसी मैनपुरी जिले के समान पक्षी बिहार को भी इस साइट मे शामिल किये जाने से सारस संरक्षण सवंर्धन की दिशा मे सरकार की पहल कारगर होती हुई दिख रही है ।

उन्होंने बताया कि रामसर साइट में पहले 27 वैटलैंडो को स्थान मिला हुआ था जिसमे 10 ओर नये जोड दिए गए है। उन्होंने बताया कि देश की न्यू रामसर साइट में उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की सरसईनावर झील,नवाबगंज बर्ड सेंचुरी,समसपुर बर्ड सेंचुरी, सांडी बर्ड सेंचुरी, पार्वती आगरा बर्ड सेंचुरी समान बर्ड सेंचुरी को स्थान दिया गया है।

उन्होंने बताया कि इस साइड में जहां महाराष्ट्र के नन्दूर मध्यमहेश्वर बर्ड सेंचुरी के अलावा पंजाब के नांगल वाइल्ड सेंचुरी, केशोपुर वेटलैंड , गुरदासपुर बर्ड सेंचुरी ओर बेसा वेटलैंड साइट को स्थान दिया गया है ।

श्री चौहान ने बताया कि रामसर सम्मेलन नम भूमि के संरक्षण के लिए विश्व स्तरीय प्रयास है। बढते शहरीकरण एवं औद्योगीकरण के कारण विश्व भर में झीलों को अनेक प्रकार से क्षति पहुंची है । इसी कारण से सभी देशों में झीलों के पुनरूद्धार एवं उनकी जल की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सघन प्रयास किये गये हैं जिसने कि जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए व्यापक कानून बनाया और इसी के साथ विश्व स्तर पर संरक्षण प्रयासों के तहत 1971 में नम भूमि पर आयोजित रामसर कन्वेंशन में भी सक्रिय रूप से भागीदारी की थी। भारत में अनेक झीलों के संरक्षण के प्रयासों को विश्व स्तर पर सराहा गया है। चिल्का झील के पुनरुद्धार के लिए देश को रामसर संरक्षण अवार्ड दिया गया। इसी प्रकार भोपाल झील के संरक्षण कार्य की भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हुई है।

उन्होंने बताया कि झीलों तथा नम भूमि के संरक्षण के लिए सर्वप्रथम 1984 में इस प्रकार का पहला सम्मेलन आयोजित किया गया था तथा इसके बाद दो वर्षों के अंतराल में विश्व के विभिन्न भागों में इसके सम्मेलन निरन्तर हो रहे हैं जो वैज्ञानिक सोच के साथ विकासशील देशों को झीलों तथा नम भूमि के रखरखाव के उपाय सुझाते हैं।

सं त्यागी

जारी वार्ता

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