राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jan 30 2020 12:03PM अमर शहीद मंगल पाण्डेय काे किया गया यादजौनपुर , 30 जनवरी (वार्ता) प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक अमर शहीद मंगल पाण्डेय को उनके 189 वें जन्मदिन के मौके पर यहां भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की गयी। जिले के सरावां गांव में स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी और लक्ष्मी बाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने क्रान्ति स्तंभ पर मोमबत्ती एवं अगरबत्ती जलाया और मंगल पाण्डे के चित्र पर माल्यार्पण किया। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 30 जनवरी 1831 को जन्मे मंगल पाण्डेय बंगाल के नेटिव इफेन्ट्री में एनआई की 34 वीं रेजीमेण्ट में सिपाही के पद पर तैनात थे। बंगाल इकाई में जब इन्फील्ड पी-53 राइफल में नई किस्म के कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ तो हिन्दू - मुस्लिम के सैनिकों और गोरों के मन में बगावत के बीज अंकुरित हो गये। उस समय इन कारतूसों को मुंह से खोलना पड़ता था। भारतीय सैनिकों में ऐसी खबर फैल गयी कि इन कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है। उस समय अंग्रेजों ने हिन्दुस्तानियों का धर्म भ्रष्ट करने के लिए यह तरकीब अपनायी थी। इसकी जानकारी मंगल पाण्डेय को हुई तो 29 मार्च 1857 बैरकपुर छावनी से अंग्रेजों के विरूद्ध उन्होने विद्रोह का विगुल फूंक दिया। उनकी इस ललकार पर उस समय ईस्ट इण्डिया कम्पनी में खलबली मच गयी और इसकी गूंज पूरी दुनियां में सुनाई दी। गोरों ने मंगल पाण्डेय तथा उनके सहयोगी ईश्वरी प्रसाद पर कुछ समय में ही काबू पा लिया था , लेकिन इन लोगों की जांबाजी ने पूरे देश में उथल - पुथल मचा दिया। इससे तंग आकर अंग्रेजों ने आठ अप्रैल 1857 को मंगल पाण्डेय को फांसी पर लटका दिया और 21 अप्रैल 1857 को उनके सहयोगी ईश्वरी प्रसाद पाण्डेय को भी फांसी पर लटका दिया गया। अंग्रेजों ने उस समय हिन्दुस्तानियो के विद्रोह को तो दबा दिया था , मगर इसका बीज आजादी का वृक्ष बनकर निकला। अमर शहीद पाण्डेय के तेवर से उस समय ईस्ट इण्डिया कम्पनी का शासन हिल उठा था।सं प्रदीपवार्ता