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महानगरों से आए मजदूर परिजनों की उपेक्षा के शिकार

महोबा,30 मार्च (वार्ता) नोवल कोरोना के चलते देशव्यापी लाॅकडाउन के कारण महानगरों से घर वापस लौट रहे उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के मजदूरों को अब अपनो की ही उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है।
खतरनाक वायरस के संक्रमण से ग्रसित मरीजों के पाए जाने की हर रोज मिल रही खबरों से ख़ौफ़ज़दा श्रमिकों के परिजन उन्हें न सिर्फ शंका की दृष्टि से देख रहे है बल्कि किन्हीं अछूतों की तरह उनसे व्यवहार करते हुए दूरी बना कर रख रहे है।
महामारी के रूप मे पूरे विश्व में फैल रहे कोरोना वायरस को लेकर इन दिनों समूचे बुंदेलखंड में हर तरफ भय और आतंक का माहौल है। नगरीय क्षेत्रों के अलावा गांवों में भी लोग इसे लेकर खासे दहशत में है। रबी की फसल की कटाई का समय होने के बावजूद ग्रामीण उक्त वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए घर में ही रहने तथा एक दूसरे से सामाजिक दूरी बनाकर रहने के उपायों पर पूरा अमल कर रहे है।
बाहर से आने वाले श्रमिकों को गांव के पंचायत भवनों में ठहराया जा रहा है। कुछ लोग अपने घर पहुंच रहे है उनके साथ बेहद सतर्कता बरती जा रही है तथा उन्हें अलग कमरों में 14 दिवसीय परीक्षण अवधि के लिए रखा जा रहा है।
महोबा के कबरई विकास खंड की श्रीनगर ग्राम पंचायत की प्रधान कल्पना दीक्षित, जैतपुर की प्रधान मुन्नी देवी खातून, गोरहारी के प्रधान राजू राजपूत ने बताया कि कोरोना वायरस को लेकर ग्रामीणों में खासी सतर्कता देखी जा रही है। सूचना संसाधनों से बीमारी के छुआछूत व गंदगी से फैलने की जानकारी होने के बाद हर कोई इसे लेकर सतर्क है। यही वजह है कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात आदि प्रांतों से अपने घर गांव लौट रहे श्रमिकों को लेकर लोग सतर्क है। बगैर चिकित्सीय जांच पड़ताल के उन्हें प्रवेश देने से मना कर रहे है। अनेक मामलों में ग्रामीणों ने अपने परिजनों को
वायरस के संक्रमण की 14 दिनों की मियाद के लिए एकांत में स्थित पशुबाड़ों, भूसाघरों आदि में ठहराया है। जिन्हें वे उसी स्थान पर भोजन आदि भी उपलब्ध करा रहे है।
जिलाधिकारी अवधेश कुमार ने बताया कि मिल रही रिपोर्टों के मुताबिक अकेले महोबा जिले में हर रोज महानगरों से करीब सात से आठ हजार श्रमिको की वापसी हो रही है। यह सभी बस, ट्रक आदि संसाधनों से लौट रहे है। इसके अलावा पैदल चल कर आने वालों की संख्या भी काफी है। सीधे गांवों में पहुंच रहे इन श्रमिको का चिकित्सकीय परीक्षण भी नही हो पा रहा है। ऐसे में सभी गांवों के ग्राम प्रधानों एवं सरकारी खाद्यान्न विक्रेता को इन सभी श्रमिको के ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित कराने तथा उनकी नाम पता समेत पूरी सूची तैयार कर हर रोज प्रशासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए है। ताकि इनकी बराबर निगरानी की जा सके।
सं तेज
वार्ता
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