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उत्तर प्रदेश-कोरोना अपील दो अंतिम प्रयागराज

डा दुबे ने बताया कि हाल ही में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में जेनेटिक इंजीनियरिंग और जैव प्रौद्योगिकी अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (आईसीजीईबी) में भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत निष्कर्ष के अनुसार, भारतीयों में जन्मजात एक ऐसा जीन पाया जाता है जो कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम होता है। संस्थान में कई अलग अलग देशों के लोगों के जीन पर अनुंसाधान किया गया जिसमें भारतीयों के पास एचएसए-एमआईआर-27 बी नामक एक अद्वितीय माइक्रो आरएनए पाया गया, जो इस वायरस से लड़ने के लिए सक्षम है।
वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के पूर्व आचार्य डा आत्माराम गौतम कहा कि भारतीय प्राचीन ग्रंथो नारद संहिता, वृहत्संहिता एवं अन्य धर्मग्रंथो में हजारों वर्ष पूर्व जिस“असाध्य रोग” का वर्णन किया जा चुका है उस रोग को आज ‘कोरोना महामारी’ का नाम देकर दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा तमाम ऐसी विद्याएं हैं जिनका उल्लेख हमारे धर्म ग्रंथो में मिलता है। कुछ विद्याएं तो इतनी विलक्षण है आज भी लोगों को उस पर विश्वास नहीं होता है। नारद संहिता में महामारी के पूर्व दिशा से फैलने का संकेत था।
आचार्य ने “भूपाव हो महारोगो मध्य स्यार्धवृष्ट य, दुखिनो जंत्व सर्वे वत्स रे परिधाविनि” संस्कृत श्लोक का उच्चारण करते हुए बताया गया है कि परिधावी नामक संवत्सर में राजाओं में युद्ध होगा, महारोग फैलेगा, मध्यम पैदावार होगी, असमान्य वर्षा होगी और सभी प्राणी दु:खी होंगे और दुख की अनुभूति करेंगे। धार्मिक हिंसा तथा युद्धजनित परिस्थितयां होगी। किसी विषाणु जनित महामारी का प्रकोप होगा। यह प्रकृति का नियम पहले ही बना था जो आज घटित हो रहा है।
दिनेश प्रदीप
वार्ता
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